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राजनाथ सिंह की रक्षा नीति: आत्मनिर्भर भारत की दिशा

New Delhi: जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दिल्ली में नौसेना कमांडरों को संबोधित कर रहे थे, तो उनके शब्दों में केवल राजनीतिक दृढ़ता नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आत्मविश्वास झलक रहा था। उन्होंने कहा — “ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को संदेश दिया है कि भारत हर चुनौती का जवाब देने के लिए सदैव तैयार है।” यह वाक्य केवल एक बयान नहीं था, बल्कि बदलते भारत की रक्षा सोच का घोषणापत्र था — एक ऐसा भारत जो अब रक्षा-आयातक नहीं, बल्कि *रक्षा-निर्माता* बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर : जब नौसेना ने दिया दुनिया को संदेश

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत की रणनीतिक दृढ़ता का प्रतीक बताया गया। इस अभियान में भारतीय नौसेना की तत्परता ने पाकिस्तान को अपनी तटरेखा तक सीमित रहने पर मजबूर कर दिया।


राजनाथ सिंह ने गर्व से कहा — “हमारी नौसेना की मौजूदगी हिंद महासागर क्षेत्र में मित्र देशों के लिए सुकून और अस्थिरता फैलाने वालों के लिए बेचैनी का कारण है।” दरअसल, हिंद महासागर अब केवल व्यापारिक मार्ग नहीं, बल्कि 21वीं सदी की भू-राजनीति का केंद्र बन चुका है। चीन की बढ़ती उपस्थिति और समुद्री सुरक्षा की जटिलताओं के बीच भारत ने खुद को एक **स्थिर और भरोसेमंद शक्ति** के रूप में स्थापित किया है।

https://x.com/rajnathsingh/status/1981376486289609108

बीते छह महीनों में भारतीय नौसेना ने **335 व्यापारी जहाजों को सुरक्षित मार्ग** प्रदान किया — यह सिर्फ सैन्य कौशल नहीं, बल्कि वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका का प्रतीक है।

आत्मनिर्भर नौसेना : युद्धपोतों से आगे, नवाचार की दिशा में

राजनाथ सिंह ने नौसेना को “आत्मनिर्भर भारत के ध्वजवाहक” के रूप में सराहा। पिछले दस वर्षों में नौसेना के 67% पूंजीगत अनुबंध भारतीय उद्योगों के साथ हुए हैं — यह आँकड़ा बताता है कि अब रक्षा उत्पादन केवल सरकारी उपक्रमों तक सीमित नहीं, बल्कि MSME, स्टार्ट-अप और युवा नवाचारकों तक पहुँच चुका है।

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वर्तमान में नौसेना IDEX, TDF, SPRINT और Make-in-India के तहत 194 परियोजनाओं पर काम कर रही है। हर स्वदेशी युद्धपोत, हर इंजन और हर नौसेना उपकरण के साथ देश में रोजगार, कौशल और तकनीक का नया अध्याय जुड़ रहा है। प्रोजेक्ट 17A के तहत बनाए जा रहे जहाजों में 75% से अधिक सामग्री स्वदेशी है जिससे 1.27 लाख से अधिक रोजगार सृजित हुए। यह नौसेना को केवल सुरक्षा की शक्ति नहीं, बल्कि आर्थिक विकास का इंजन भी बनाता है।

https://x.com/rajnathsingh/status/1981359633311932897

राजनाथ सिंह का दृष्टिकोण : तकनीक के साथ मानवीय रणनीति

रक्षा मंत्री ने स्पष्ट कहा कि आधुनिक युद्ध अब केवल हथियारों का नहीं, बल्कि तकनीक, खुफिया और निर्णय क्षमता का युद्ध है।
उन्होंने जोर दिया “प्रौद्योगिकी हमें बढ़त देती है, पर युद्ध केवल मशीनों से नहीं जीते जाते; उनमें मानव की चपलता और सोच का महत्व सदैव रहेगा।” यह बयान भारतीय रणनीतिक दृष्टि का मानवीय पक्ष उजागर करता है। रक्षा नीति केवल टैंकों और मिसाइलों की संख्या नहीं, बल्कि सैनिकों, परिवारों और उद्योगों के बीच जुड़ी सामाजिक श्रृंखला का नाम है।

79,000 करोड़ की सैन्य खरीद : सुरक्षा और उद्योग का संगम

23 अक्टूबर को ही रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने लगभग 79,000 करोड़ की रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी दी। इसमें सेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम (NAMIS Mk-II), नौसेना के लिए लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स (LPD) और वायुसेना के लिए लॉन्ग-रेंज टार्गेट सिस्टम (CLRTS/DS) जैसी अत्याधुनिक प्रणालियाँ शामिल हैं।

इन निर्णयों का असर दो स्तरों पर पड़ेगा

1. सामरिक रूप से, तीनों सेनाओं की तकनीकी और परिचालन क्षमता बढ़ेगी।
2. आर्थिक रूप से, यह निवेश भारतीय उद्योगों, MSME और नवाचार कंपनियों को बड़ा प्रोत्साहन देगा।यह नीतियाँ बताती हैं कि अब भारत का लक्ष्य केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि सुरक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाना है।

रक्षा खरीद नियमावली 2025 : प्रक्रिया में पारदर्शिता, नीति में गति

राजनाथ सिंह द्वारा जारी नई **रक्षा खरीद नियमावली (DPM 2025)** इस परिवर्तन का संस्थागत रूप है।
यह नियमावली प्रक्रियाओं को सरल बनाएगी, देरी पर लगने वाली क्षतिपूर्ति को कम करेगी और MSME तथा स्टार्ट-अप्स को अधिक अवसर देगी।

नए प्रावधानों में

स्वदेशी उत्पादों के लिए 5 वर्ष तक का सुनिश्चित ऑर्डर,
अनापत्ति प्रमाणपत्र की शर्त समाप्त,
ICT और नवाचार को बढ़ावा देने वाले नए अध्याय शामिल हैं।

यह केवल खरीद की नीति नहीं, बल्कि *विश्वसनीयता और पारदर्शिता की संस्कृति* को स्थापित करने का प्रयास है।

रणनीतिक रूप से आत्मनिर्भर भारत : भविष्य की दिशा

राजनाथ सिंह की इन पहलों से यह स्पष्ट है कि भारत की रक्षा नीति अब तीन स्तंभों पर आधारित है —

स्तंभ | उद्देश्य | परिणाम |

आत्मनिर्भरता | स्वदेशी उत्पादन व नवाचार | तकनीकी स्वतंत्रता |
सामरिक नेतृत्व | IOR और इंडो-पैसिफिक में सक्रिय भूमिका | क्षेत्रीय स्थिरता |
मानवीय दृष्टिकोण | सैनिक, उद्योग और समाज का समावेश | समग्र राष्ट्र निर्माण |

यह नया दृष्टिकोण भारत को केवल सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि स्मार्ट पावर के रूप में स्थापित करता है, जो हथियारों से नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, नवाचार और साझेदारी से सशक्त है।

एक नई रक्षा सोच का उदय

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में भारत की रक्षा नीति अब सिर्फ सुरक्षा की परिभाषा नहीं लिख रही, बल्कि विकास, विज्ञान और आत्मनिर्भरता का नया अध्याय जोड़ रही है।
उनके शब्दों में “हर जहाज एक रोजगार है, हर इंजन एक कौशल है, और हर स्वदेशी प्रणाली भारत के आत्मविश्वास की कहानी है।” यह कहानी एक ऐसे भारत की है जो अब तैयार है हर चुनौती के लिए, हर दिशा में, और हर मोर्चे पर।

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Author: Tesari Aankh

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