रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा ने वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में नई हलचल पैदा कर दी है। यह दो-दिवसीय राजकीय यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया बड़े भू-राजनीतिक परिवर्तनों से गुजर रही है—यूक्रेन संघर्ष, बदलती वैश्विक गठबंधन व्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की रणनीतिक गतिशीलता। भारत और रूस के बीच दशकों से चली आ रही साझेदारी इस मुलाकात से एक बार फिर मजबूत होती दिख रही है।
1. यात्रा का उद्देश्य: बहुआयामी रणनीतिक संवाद
इस यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य भारत और रूस के बीच व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष तथा कूटनीतिक सहयोग को नए स्तर पर ले जाना है। दोनों देशों में लंबे समय से “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” (Special & Privileged Strategic Partnership) है, जिसे और गहरा करने की मंशा इस यात्रा के केंद्र में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन का स्वागत करते हुए उन्हें रूसी भाषा में अनूदित भगवद्गीता की प्रति भेंट की—जिसे भारत-रूस सांस्कृतिक समीपता का प्रतीक माना जा रहा है।
2. रक्षा सहयोग: रूस अब भी भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार
भारत की रक्षा क्षमताओं में रूस का योगदान ऐतिहासिक रूप से बड़ा है। भारतीय सेनाओं के हथियारों और सैन्य प्रणालियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रूस से आता है। इस यात्रा में निम्न मुद्दों पर गहन चर्चा हुई:
• S-400 मिसाइल सिस्टम की आगे की डिलिवरी
रूस ने आश्वासन दिया कि भारत को S-400 सिस्टम की आपूर्ति तय समयानुसार जारी रहेगी।
• संयुक्त उत्पादन और स्थानीयकरण (Make in India Defence)
भारत ने रूसी रक्षा कंपनियों से अधिक उत्पादन भारत में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा, जैसे:
- हेलिकॉप्टर निर्माण
- गोला-बारूद और मिसाइल पार्ट्स
- स्पेयर पार्ट सप्लाई चेन को भारत में स्थापित करना
• नौसेना सहयोग
- ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित संस्करण
- नई पीढ़ी की पनडुब्बी सहयोग योजनाएँ (संभावित)
इससे यह स्पष्ट है कि रक्षा सहयोग अभी भी भारत-रूस संबंधों का सबसे मजबूत स्तंभ है।
3. ऊर्जा सुरक्षा: भारत की ज़रूरतें, रूस के अवसर
रूस भारत का एक बड़ा ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है। भारत, अपनी बढ़ती ऊर्जा मांग और कम कीमतों की तलाश में, रूसी तेल पर अधिक निर्भर हुआ है।
इस बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई:
• कच्चे तेल (Crude Oil) की दीर्घकालिक आपूर्ति समझौता
- स्थिर कीमतें
- परिवहन सुधार
- भुगतान प्रणाली में डॉलर निर्भरता घटाना
• LNG और गैस पाइपलाइन सहयोग
रूस भारत में गैस अवसंरचना में निवेश के विकल्प तलाश रहा है।
• परमाणु ऊर्जा सहयोग
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र जैसे प्रोजेक्टों के विस्तार पर चर्चा हुई।
4. व्यापार और आर्थिक संबंध: 100 अरब डॉलर व्यापार लक्ष्य
भारत-रूस व्यापार 2024–25 में 65 बिलियन डॉलर पार कर चुका है। अब लक्ष्य 100 बिलियन डॉलर व्यापार तक पहुँचना है।
दोनों देशों ने चर्चा की:
- फार्मा, केमिकल, कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ाना
- भारतीय आईटी कंपनियों को रूसी बाजार में प्रवेश आसान बनाना
- रूस को भारतीय चावल और मसालों का निर्यात बढ़ाना
- नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को गति देना
5. वैश्विक कूटनीति और बहुपक्षीय मुद्दे
भारतीय विदेश नीति बहु-संरेखण (Multi-Alignment) पर आधारित है—भारत अमेरिका, EU, और रूस जैसे देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना चाहता है।
https://tesariaankh.com/india-russia-putin-visit-global-diplomacy-ukraine-us-talks/
इस संदर्भ में भारत-रूस चर्चा के महत्वपूर्ण बिंदु रहे:
• यूक्रेन युद्ध
भारत ने एक बार फिर “संवाद और कूटनीति” के माध्यम से समाधान की बात दोहराई।
रूस ने भारत को वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ बताकर उसकी भूमिका की सराहना की।
https://x.com/narendramodi/status/1996589836267122768?s=20
• इंडो-पैसिफिक क्षेत्र
भारत ने शांति, स्थिरता और स्वतंत्र समुद्री मार्गों के महत्व पर जोर दिया।
• ब्रिक्स (BRICS) विस्तार और वैश्विक वित्त प्रणाली सुधार
दोनों देश डॉलर-निर्भरता कम करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
6. सांस्कृतिक एवं मानवीय संबंध भी बातचीत का हिस्सा
- छात्र विनिमय कार्यक्रम
- योग एवं आयुर्वेद सहयोग
- रूस में भारतीय त्योहारों और भारत में रूसी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का विस्तार
- अंतरिक्ष तकनीक में संयुक्त मिशन (Gaganyaan सहयोग)
इनका उद्देश्य दोनों देशों के लोगों को और नज़दीक लाना है।
7. यात्रा का रणनीतिक महत्व
पुतिन की भारत यात्रा कई कारणों से महत्वपूर्ण मानी जा रही है:
- रूस-पश्चिम तनाव के बीच भारत की संतुलित कूटनीति को बल मिला।
- रक्षा साझेदारी को नई दिशा मिली।
- भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई।
- वैश्विक बहुध्रुवीय व्यवस्था में भारत की भूमिका उजागर हुई।
पश्चिमी देशों की निगाहें इस यात्रा पर टिकी रहीं, क्योंकि भारत-रूस संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति दोनों को प्रभावित करते हैं।
व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा ने यह संदेश दिया है कि भारत और रूस के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरते रहे हैं। बदलते वैश्विक समीकरणों के बावजूद दोनों देशों ने अपने सहयोग को रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सभी स्तरों पर आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई है। आने वाले वर्षों में ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और तकनीक के क्षेत्र में यह साझेदारी और अधिक गहरी होने की संभावना है।








