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तीन देशों के राजदूतों ने राष्ट्रपति मुर्मु को परिचय पत्र सौंपे

तीन देशों के राजदूतों ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को अपने परिचय पत्र प्रस्तुत किए।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (15 दिसंबर, 2025) राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में ईरान, ब्रुनेई दारुस्सलाम और माइक्रोनेशिया के राजदूतों के परिचय पत्र स्वीकार किए।

1 इस्लामी गणराज्य ईरान के राजदूत, डॉ. मोहम्मद फथली

https://x.com/narendramodi/status/2000424976969789896?s=20

ईरान के राजदूत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को परिचय पत्र सौंपकर भारत में अपने राजनयिक कार्यकाल की औपचारिक शुरुआत की। भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध सदियों पुराने रहे हैं। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ रहा है। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत-ईरान रणनीतिक साझेदारी का प्रमुख उदाहरण मानी जाती है। ईरानी राजदूत द्विपक्षीय व्यापार, शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन को नई गति देने पर जोर देंगे। भारत क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में ईरान की भूमिका को महत्व देता है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते आने वाले समय में और मजबूत होने की उम्मीद है।

 

 

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2. ब्रुनेई दारुस्सलाम की उच्चायुक्त, श्रीमती सिटी अरनीफरिज़ा हाजी मोहम्मद जैनी

ब्रुनेई दारुस्सलाम के राजदूत ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में परिचय पत्र प्रस्तुत किए। भारत और ब्रुनेई के संबंध आपसी विश्वास, सम्मान और सहयोग पर आधारित हैं। ब्रुनेई भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ का एक महत्वपूर्ण साझेदार देश है। दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है। व्यापार, निवेश और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों पर भी चर्चा की जा रही है। राजदूत का उद्देश्य भारत-ब्रुनेई द्विपक्षीय संबंधों को और व्यापक बनाना है, जिससे भारत-आसियान सहयोग को नई मजबूती मिलेगी।

3. माइक्रोनेशिया संघीय राज्यों के राजदूत, श्री जॉन फ्रिट्ज

माइक्रोनेशिया के राजदूत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को परिचय पत्र सौंपकर भारत के साथ अपने कूटनीतिक दायित्वों की शुरुआत की। भारत और माइक्रोनेशिया के बीच संबंध विकास, सहयोग और साझेदारी पर केंद्रित हैं। माइक्रोनेशिया भारत की इंडो-पैसिफिक नीति का अहम हिस्सा है और प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव को दर्शाता है। जलवायु परिवर्तन, क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों की समान सोच है। यह राजनयिक पहल भारत की वैश्विक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत करती है।

तीन देशों—ईरान, ब्रुनेई दारुस्सलाम और माइक्रोनेशिया—के राजदूतों द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को परिचय पत्र सौंपे जाने से भारत को कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर कई महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं। यह कदम भारत की सक्रिय और संतुलित विदेश नीति को दर्शाता है तथा वैश्विक मंच पर देश की मजबूत होती भूमिका को रेखांकित करता है। ईरान के साथ संबंधों के सुदृढ़ होने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलने की संभावना है, साथ ही तेल और गैस आपूर्ति के नए विकल्प भी खुल सकते हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना को गति मिलने से भारत की मध्य एशिया तक पहुंच आसान होगी और व्यापारिक संपर्क बढ़ेंगे। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक सहयोग को भी नई दिशा मिल सकती है।

ब्रुनेई दारुस्सलाम के साथ मजबूत होते संबंध भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को और प्रभावी बनाएंगे। इससे भारत-आसियान सहयोग को मजबूती मिलेगी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति सुदृढ़ होगी। रक्षा, समुद्री सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने से भारत को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है। साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की कूटनीतिक पकड़ मजबूत होगी और भारतीय कंपनियों के लिए नए बाजारों के अवसर खुलेंगे।

माइक्रोनेशिया के साथ बढ़ता सहयोग भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूती प्रदान करेगा और प्रशांत द्वीपीय देशों में भारत की मौजूदगी बढ़ाएगा। जलवायु परिवर्तन, क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग से भारत की सॉफ्ट पावर में इजाफा होगा। इन देशों के साथ मजबूत संबंध संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को समर्थन दिलाने में सहायक हो सकते हैं। कुल मिलाकर, यह राजनयिक पहल भारत की वैश्विक पहुंच, आर्थिक अवसरों, रणनीतिक संतुलन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को मजबूत करने वाला कदम है, जो देश को एक भरोसेमंद और प्रभावशाली वैश्विक साझेदार के रूप में स्थापित करता है।

Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

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