वेब स्टोरी

ई-पेपर

लॉग इन करें

PKVY Scheme: परंपरागत कृषि विकास योजना: किसान की आमदनी बढ़ेगी, माटी उगलेगी सोना

PKVY Scheme: भारत में कृषि को टिकाऊ बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) एक दशक में मील का पत्थर साबित हुई है। 2015 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना है। फरवरी 2025 तक, PKVY के तहत 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के दायरे में लाया गया है, जिससे 25.30 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। योजना क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण पर काम करती है, जहाँ किसानों को 20-20 हेक्टेयर के समूहों में संगठित किया जाता है। इसके तहत किसानों को तीन साल की अवधि के लिए ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सीधी आर्थिक सहायता मिलती है, जो उन्हें जैविक आदानों, प्रशिक्षण और प्रमाणन में मदद करती है। इस पहल ने PGS-इंडिया और जैविक खेती पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों को सीधे बाजार से जोड़ा है, जिससे उनकी उपज को सही दाम मिल सके। PKVY देश में स्वस्थ खाद्य उत्पादन और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत कर रही है।

किसान भाइयों, आज खेती की बढ़ती लागत और रासायनिक खादों के इस्तेमाल से ज़मीन की सेहत खराब हो रही है। इसी समस्या को देखते हुए, भारत सरकार ने 2015 में एक ख़ास योजना शुरू की— परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)। यह योजना आपको बिना केमिकल वाली, यानी जैविक खेती करने में मदद करती है, ताकि आपकी ज़मीन भी बचे, उपज भी अच्छी हो, और आपको बेहतर दाम मिलें।

क्यों शुरू हुई पीकेवीवाई?

पहले हमारी खेती पारंपरिक तरीकों से होती थी, जो टिकाऊ थे। लेकिन तेज़ मुनाफे के लिए जब हमने खूब केमिकल डाले, तो ज़मीन खराब होने लगी, पानी गंदा होने लगा और खाने की शुद्धता पर सवाल उठने लगे।

पीकेवीवाई का लक्ष्य साफ है:

  • खेती को पर्यावरण के अनुकूल बनाना।
  • रासायनिक खादों पर आपकी निर्भरता कम करना।
  • खेती की लागत घटाकर आपकी आय बढ़ाना
  • उपभोक्ताओं के लिए स्वस्थ और केमिकल-मुक्त खाना पैदा करना।

क्लस्टर (समूह) बनाकर खेती: सबसे बड़ा फायदा

पीकेवीवाई का सबसे ख़ास तरीका है ‘क्लस्टर’ (समूह) आधारित खेती

  • छोटे समूह: 20-20 हेक्टेयर ज़मीन वाले किसानों को एक साथ जोड़कर समूह बनाए जाते हैं। अब तक 52,289 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं, और 25.30 लाख से अधिक किसान इससे जुड़ चुके हैं (फरवरी 2025 तक)।
  • कम लागत: समूह में खेती करने से संसाधन बाँटना आसान होता है और लागत कम हो जाती है।
  • प्रशिक्षण: आपको जैविक खाद बनाने, मिट्टी की सेहत सुधारने और नए तरीकों से खेती करने का पूरा प्रशिक्षण दिया जाता है।

आपको मिलेगी आर्थिक मदद (₹31,500 प्रति हेक्टेयर)

जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को तीन साल की अवधि के लिए ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सीधी मदद दी जाती है। यह पैसा सीधा आपके खाते में (DBT) आता है, जिसका वितरण इस प्रकार है:

  • ऑन-फार्म और ऑफ-फार्म जैविक इनपुट: 15,000 रुपए (डीबीटी)
  • मार्केटिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग: 4,500 रुपए
  • प्रमाणन और अवशेष विश्लेषण: 3,000 रुपए
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: 9,000 रुपए
PKVY-Scheme
PKVY-Scheme

यह सहायता आपको जैविक खेती अपनाने, अपनी उपज को प्रमाणित करने और उसे अच्छे दामों पर बाजार में बेचने में मदद करती है।

आपकी उपज को मिलेगी पहचान: जैविक प्रमाणन

जैविक उपज बेचने के लिए उसे प्रमाणित करना बहुत ज़रूरी है। पीकेवीवाई ने इसके लिए दो आसान तरीके दिए हैं:

  1. पीजीएस-इंडिया (PGS-India): यह किसानों और उत्पादकों का अपना समुदाय-आधारित प्रमाणन है। इसमें आपके समूह के किसान ही मिलकर एक-दूसरे की खेती की जाँच करते हैं और उपज को जैविक घोषित करते हैं। यह घरेलू बाजार के लिए सबसे सस्ता और आसान तरीका है।
  2. एनपीओपी (NPOP): यह अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाला प्रमाणन है, जो आपकी उपज को दुनियाभर के बाजारों में बेचने के लिए ज़रूरी है।

इसके अलावा, सरकार ने वृहत क्षेत्र प्रमाणन (LAC) कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिससे अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और सिक्किम जैसे क्षेत्रों में (जहाँ पहले कभी केमिकल नहीं पड़ा) तेजी से प्रमाणन मिल जाता है। सिक्किम तो एलएसी के तहत दुनिया का एकमात्र 100% जैविक राज्य बन चुका है!

डिजिटल प्लेटफार्म से सीधी बिक्री

पीकेवीवाई ने किसानों को सीधे उपभोक्ताओं और खरीदारों से जोड़ने के लिए एक जैविक खेती पोर्टल बनाया है।

  • इस पोर्टल पर 6.23 लाख से अधिक किसान और 8,676 खरीदार पंजीकृत हैं (दिसंबर 2024 तक)।
  • आप इस पोर्टल पर अपनी उपज को सीधे बेच सकते हैं, जिससे बीच के बिचौलिए खत्म हो जाते हैं और आपको अपनी मेहनत का पूरा दाम मिलता है।

आपकी सफलता, देश की सफलता

फरवरी 2025 तक, पीकेवीवाई के तहत 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के अंतर्गत लाया जा चुका है। सरकार इस योजना पर ₹2,265.86 करोड़ खर्च कर चुकी है।

https://tesariaankh.com/google-gemini-ai-nestcam-india-impact/

पीकेवीवाई सिर्फ एक योजना नहीं है, बल्कि देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और भारत को ‘विकसित और आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आप भी अपने नज़दीकी क्षेत्रीय परिषद (Regional Council) से संपर्क करें और जैविक खेती अपनाकर इस आंदोलन का हिस्सा बनें!

Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

Leave a Comment

और पढ़ें
और पढ़ें