बिहार की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। चुनावी बिसात बिछ चुकी है, और सियासी गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि क्या नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक पारी का अंतिम अध्याय लिख रहे हैं। राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार जैसे कई दिग्गज एकमत से जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] के लिए भारी नुकसान की भविष्यवाणी कर रहे हैं। इन भविष्यवाणियों के केंद्र में नीतीश कुमार का कमज़ोर होता राजनीतिक आधार, स्वास्थ्य पर उठते सवाल और सबसे महत्वपूर्ण, गठबंधन के भीतर भाजपा की बदलती रणनीति है।
1. प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ चेतावनी और सीटों का पतन
प्रशांत किशोर ने आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर स्पष्ट भविष्यवाणी की है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में वापसी नहीं करेंगे, और जेडी(यू) की सीटें 25 से नीचे चली जाएंगी।
- कमज़ोर नेतृत्व: किशोर का तर्क है कि 2020 में ‘चिराग फैक्टर’ ने जेडी(यू) की सीटें 43 तक घटाई थीं। आज, राजनीतिक और शारीरिक रूप से कमजोर नीतीश कुमार के खिलाफ उनकी जन सुराज पार्टी वोट काटकर जेडी(यू) और एनडीए दोनों को और अधिक नुकसान पहुँचाएगी।
2. जेडी(यू) की गिरती ताकत, सत्ता का दिल्ली से संचालन
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार ने अपने विश्लेषण में कहा है कि बिहार में नीतीश युग का अंत अब तय माना जा रहा है।
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- भाजपा का वर्चस्व: उनका आकलन है कि जेडी(यू) की ताकत बहुत कम हो चुकी है। अब बिहार सरकार को दिल्ली से अमित शाह चला रहे हैं, जिसके प्रतिनिधि सम्राट चौधरी हैं। भाजपा ने जेडी(यू) के बराबर सीटों पर लड़ने का ऐलान कर उनके घटते जनाधार पर मुहर लगा दी है।
- केवल विज्ञापन के लिए सीएम: कुमार के अनुसार, नीतीश को केवल चुनाव तक पिछड़ों के वोट साधने के लिए ‘विज्ञापन का चेहरा’ बनाकर रखा गया है।
3. सक्रियता पर सवाल और पार्टनर का अपमान
नीतीश कुमार की घटती सक्रियता और स्वास्थ्य पर उठते सवाल भी उनकी कमजोर होती पकड़ को दर्शाते हैं:

- स्वास्थ्य और नियंत्रण: सार्वजनिक मंचों पर उनकी घटी हुई ऊर्जा और कभी-कभी असंगत बयानबाजी पर लगातार चर्चा हो रही है। इस कारण, पार्टी और गठबंधन के भीतर उनके नियंत्रण पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
- ‘रद्दी माल’ का तंज: उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का एक पुराना बयान, जिसमें उन्होंने नीतीश कुमार को “रद्दी माल” कहा था, सोशल मीडिया पर वायरल है। यह दर्शाता है कि गठबंधन के भीतर भी नीतीश कुमार का सम्मान कम हुआ है, जो जनता में बदलाव की ललक पैदा कर रहा है।
4. भाजपा की चुनाव बाद की रणनीति: सीएम पद पर बड़ा बदलाव!
राजनीतिक हलकों में सबसे बड़ी चर्चा यह है कि भाजपा ने अब चुनाव बाद के लिए नीतीश मुक्त बिहार की रणनीति बना ली है। सूत्रों और भाजपा नेताओं के इशारों के मुताबिक, पार्टी चुनाव के बाद एक नई योजना लागू करने की तैयारी में है:
- नया सीएम, नया युग: भाजपा नेता इस बात के संकेत दे रहे हैं कि यदि एनडीए जीतता है, तो नीतीश कुमार की जगह किसी और नेता को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। यह कदम बिहार की राजनीति में दशकों बाद एक बड़ा नेतृत्व परिवर्तन लाएगा।
- नीतीश पुत्र को डिप्टी सीएम का पद? सत्ता में बदलाव को नरम बनाने और जेडी(यू) को साधने के लिए, यह चर्चा है कि भाजपा नीतीश कुमार के पुत्र को उप-मुख्यमंत्री (Deputy CM) का पद देने का प्रस्ताव दे सकती है। यह कदम एक तरफ नीतीश को सम्मानजनक विदाई देगा, वहीं दूसरी तरफ भाजपा बिहार की सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेगी।
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प्रशांत किशोर की भविष्यवाणियों, वरिष्ठ पत्रकार के विश्लेषण और सबसे महत्वपूर्ण, भाजपा की अंदरूनी ‘सीएम-डिप्टी सीएम’ की रणनीति—ये सभी संकेत दे रहे हैं कि नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक पारी के निर्णायक अंतिम चरण में हैं। गठबंधन के भीतर उन्हें मिल रही चुनौती और उनके नेतृत्व पर उठते सवालों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में नीतीश युग का निर्णायक अंत नज़दीक आ चुका है। उनका भविष्य अब भाजपा की रणनीति पर निर्भर करता है, न कि उनके अपने जनाधार पर।








