जमीयत-उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने मंगलवार को कहा कि देश के लोगों को यह समझना चाहिए कि जिहाद इस्लाम की एक पवित्र और आध्यात्मिक अवधारणा है, जिसे गलत तरीके से पेश करना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि यह जानना जरूरी है कि “जिहाद कब और कैसे शुरू होता है” और इसका वास्तविक अर्थ क्या है।
आईएएनएस से बातचीत में मौलाना मदनी ने कहा कि यदि किसी को इस्लाम या मुसलमानों से आपत्ति है, तो उसे यह स्पष्ट रूप से कह देना चाहिए। लेकिन किसी अन्य धर्म के नाम पर इस्लाम को गलत रूप में प्रस्तुत करना उचित नहीं। उनके अनुसार, ऐसा करने वाले लोग समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।
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लाल किले के पास हमले को लेकर उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा आतंकवादी घटनाओं की निंदा की है, चाहे वह पहलगाम का हमला रहा हो या कोई अन्य। उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों में दोहरा नुकसान होता है—निर्दोष लोगों की मृत्यु और इस्लाम की छवि पर चोट।
उन्होंने कहा, “कुछ लोग जिहाद का मतलब दहशतगर्दी के खिलाफ लड़ाई बताते हैं। यदि ऐसा है, तो असली जिहाद तो हम ही कर रहे हैं क्योंकि हम हिंसा का विरोध करते हैं।”
राजनीतिक सवालों पर मौलाना मदनी ने कहा कि उन्हें राजनीति में रुचि नहीं है और न ही वे जानते हैं कि मुस्लिम वोट बंट रहे हैं या नहीं। उनका कहना है कि भारत की राजनीति किसी एक समुदाय के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की व्यापक दृष्टि से देखी जानी चाहिए।
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उन्होंने देश में बढ़ रहे वायु, जल और सामाजिक प्रदूषण पर चिंता जताई और कहा कि राजनीति को मूलभूत समस्याओं के समाधान केंद्रित होना चाहिए।
संचार साथी ऐप को लेकर उन्होंने आपत्ति व्यक्त की और कहा कि सरकार को निगरानी तंत्र को लेकर अधिक पारदर्शिता रखनी चाहिए।








