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Electoral Reforms:: SIR, ONOE, आधार लिंकिंग विवाद और चुनौतियां

नई दिल्ली: लोकसभा में चुनाव सुधारों पर बहस हो रही है। यह विपक्ष के विशेष गहन संशोधन (SIR) पर हंगामे के बाद तय हुई चर्चा है, जहां किसान, मजदूर, युवा और महिलाओं की आवाजें संसद के गलियारों में गूंज रही हैं। कल्पना कीजिए एक बुजुर्ग किसान को, जो बिहार के गांव में BLO के सामने आधार कार्ड थमाते हुए कहता है, “यह मेरा वोट है या बोझ?” यह रिपोर्ट उन लाखों नागरिकों की कहानी है, जिनके वोट की शुद्धता के नाम पर जीवन की अनिश्चितता बढ़ रही है।​

विशेष गहन संशोधन (SIR): वोटर लिस्ट की सफाई या परिवारों का डर?

बिहार से लेकर 12 राज्यों तक SIR चल रही है — BLO घर-घर जाकर मृत या स्थानांतरित वोटरों को हटाने, नए 18 साल वालों को जोड़ने का काम कर रहे हैं। उद्देश्य नेक लगता है: फर्जी वोट खत्म कर निष्पक्ष चुनाव। लेकिन पटना के रामू जी जैसे मजदूर को जब BLO ने कहा, “आधार या वोटर ID से काम नहीं चलेगा, जन्म प्रमाणपत्र लाओ,” तो वे टूट गए। “मेरे पास तो सिर्फ मजदूरी का कार्ड है, क्या अब मेरा वोट भी चला जाएगा?”​

ECI का कहना है कि यह Article 326 (वयस्क मताधिकार, सिर्फ नागरिकों को) का पालन है। लेकिन ग्रामीण महिलाएं, जैसे दिल्ली की शकुंतला, चिंतित हैं — पुराने दस्तावेज खो गए, आधार को ठुकराया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने आधार को ID प्रूफ माना, लेकिन ECI स्पष्ट करता है: यह नागरिकता साबित नहीं करता। 11 अन्य दस्तावेज वैध हैं, फिर भी असमंजस।​

एक राष्ट्र, एक चुनाव (ONOE): स्थिरता का सपना या लोकतंत्र का बोझ?

सरकार का बड़ा दांव — लोकसभा और विधानसभा एक साथ। HLC रिपोर्ट कहती है: हर चुनाव पर 4,500 करोड़ खर्च, मॉडल कोड से विकास रुकता है। लेकिन विपक्षी नेता इमरान मसूद जैसे कहते हैं, “छोटे दलों का क्या? क्षेत्रीय मुद्दे दब जाएंगे।” एक छोटे शहर की युवा शिक्षिका ने बताया, “एक चुनाव से फोकस बंटेगा, मेरी आवाज खो जाएगी।”​

डिलिमिटेशन भी जुड़ा — नई जनगणना पर सीटें बांटना। उत्तर भारत को फायदा, लेकिन दक्षिणी राज्य चिंतित। यह नीति स्थिर सरकारें लाएगी, लेकिन क्या विविधता को कुचलेगी?

आधार-Voter ID लिंकिंग: तकनीक की ताकत या गोपनीयता का खतरा?

फॉर्म 6B से स्वैच्छिक आधार लिंकिंग — डुप्लिकेट हटाने को। ECI की 21-सूत्री योजना में VVPAT, cVIGIL ऐप, रीयल-टाइम मौत रजिस्ट्रेशन शामिल। लेकिन जनता का संशय गहरा: “आधार से वोटर ID लिंक, फिर डेटा लीक तो नहीं?” कांग्रेस नेता रandeep सुरजेवाला की याचिका SC में है।​

https://x.com/PTI_News/status/1998255819121639769?s=20

बिहार SIR में आधार अस्वीकार पर हंगामा। एक प्रवासी मजदूर बोला, “मैं गुजरात कमाता हूं, आधार पर वोट गंवाऊं?” ECI स्पष्ट: स्वैच्छिक, BLO सत्यापन। लेकिन ग्रामीणों को दस्तावेज जुटाना कठिन।​

अपराधीकरण रोकना और अन्य सुधार: उम्मीद की किरणें

  • तेज ट्रायल: SC आदेश — आपराधिक उम्मीदवारों पर 6 माह में फैसला। युवा वकील ने कहा, “अब साफ नेता चुन सकेंगे।”

  • महिला आरक्षण: 33% सीटें — बेटियों की ताकत बढ़ेगी।

  • प्रवासी वोटिंग: रिमोट वोटिंग — गांव लौटे बिना वोट।

  • पार्टी डेमोक्रेसी: आंतरिक चुनाव अनिवार्य।

  • बूथ सुधार: 2 किमी में बूथ, मोबाइल डिपॉजिट।​

ये सुधार ECI की 100-दिन पहल हैं, जो पारदर्शिता लाएंगे।

सरकार की रणनीति: साफ लोकतंत्र, मजबूत शासन

मोदी सरकार SIR हंगामे पर बहस देकर सदन चला रही। किरेन रिजिजू: “हर मुद्दा चर्चा में।” रणनीति स्पष्ट:

  • लागत बचत: ONOE से खर्च 50% कम।

  • वोटर विश्वास: फर्जी हटाकर BJP की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ छवि।

  • डिजिटल पुश: आधार से डिजिटल इंडिया।

  • राजनीतिक लाभ: डिलिमिटेशन से उत्तर लाभ, अपराधी रोककर साफ इमेज।​

सुधार सरकारी लक्ष्य जन प्रभाव
ONOE स्थिरता ​ विकास तेज, लेकिन विविधता?
SIR शुद्ध लिस्ट ​ फर्जीवाड़ा रुकेगा
आधार लिंक डुप्लिकेट हटाना ​ संशय + प्राइवेसी चिंता
महिला आरक्षण 33% सीटें ​ बेटियां मजबूत

ECI का परिप्रेक्ष्य: संवैधानिक कर्तव्य, लेकिन जन-केंद्रित चुनौतियां

CEC ज्ञानेश कुमार: “शुद्ध वोटर लिस्ट लोकतंत्र की नींव।” RP Act 1950 पर आधारित, राजनीतिक दलों से सलाह। लेकिन जनता पूछती है: “ग्रामीणों का क्या?” ECI ने BLO ट्रेनिंग बढ़ाई, लेकिन आधार विवाद SC में।​

आधार संशय: जनता की असली चिंता

विपक्ष चिल्लाता है: “गरीब-अल्पसंख्यक वोट काटना!” एक मुस्लिम महिला: “आधार पर वोट गया तो परिवार भूखा?” ECI: 11 दस्तावेज वैध। लेकिन जमीनी हकीकत — दस्तावेज न होने से लाखों प्रभावित। यह संशय बहस का केंद्र बनेगा।​

https://tesariaankh.com/yogi-model-development-farmers-industrial-growth-up/

चुनाव सुधार जरूरी हैं, लेकिन मानवीय चेहरे के साथ। किसान रामू, शिक्षिका, मजदूर — उनकी आवाज सुने बिना सुधार अधूरे। संसद आज फैसला लेगी: पारदर्शिता या संशय?​

Virat Krishna
Author: Virat Krishna

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