कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष सप्तमी हिन्दू पंचांग में एक अत्यंत शुभ और महत्वूर्ण तिथि मानी जाती है। इस वर्ष कार्तिक शुक्ल सप्तमी 28 अक्टूबर 2025 को मंगलावर के दिन, त्रिपुष्कर और रवि योग जैसे दुर्लभ एवं अत्यंत शुभ योगों के संयोग के साथ आ रही है। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है, विशेषकर हनुमान भक्तों के लिए यह दिन वरदान सरीखा माना जाता है। आइए जानते हैं इस सप्तमी की सम्पूर्ण जानकारी, महत्व, शुभ योग, हनुमान पूजा विधि, ज्योतिषीय लाभ और व्रत-कथा की विस्तार से जानकारी।
कार्तिक शुक्ल सप्तमी का महत्व
कार्तिक मास हिन्दू पंचांग के बारह महीनों में अत्यंत पावन और शुभ माना जाता है। इस माह में पर्व, त्योहार, स्नान, दान, पूजा-पाठ आदि की विशेष मान्यता है। शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि विशेष रूप से पूज्य है, क्योंकि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ माना जाता है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि मंगलवार के दिन, कार्तिक शुक्ल सप्तमी को प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस दिन सदा हनुमान जी की पूजा और व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
इस दिन श्रद्धालु हनुमान जी की पूजा-अर्चना, व्रत, पाठ एवं दान आदि कार्य कर सकते हैं। मंगल दोष, जीवन की परेशानियों, भय तथा मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए हनुमान पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है.
दुर्लभ योग: त्रिपुष्कर और रवि योग, त्रिपुष्कर योग
ज्योतिष विज्ञान में त्रिपुष्कर योग को अत्यंत शुभ और सकारात्मक माना जाता है। यह योग तब बनता है जब रविवार, मंगलवार या शनिवार के दिन, द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी तिथि में से कोई एक हो. इस वर्ष कार्तिक शुक्ल सप्तमी मंगलवार को पड़ रही है — इसलिए दुर्लभ त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। इस योग में किए गए कार्य तीन गुना फलदायी होते हैं।
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मकान, वाहन, संपत्ति, नए कार्यों की शुरुआत अत्यंत शुभ होती है
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ज्योतिषियों के अनुसार, मंगल दोष, बाधाओं व जीवन में आने वाले संकट को दूर करने के लिए यह उपयोगी समय है
रवि योग
रवि योग का निर्माण तब होता है जब चंद्रमा जिस नक्षत्र में है, वह सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें या तेरहवें स्थान पर रहता है. रवि योग में किसी भी शुभ कार्य, निवेश, यात्रा, व्यवसाय-विस्तार, शिक्षा की शुरुआत या महत्वपूर्ण निर्णय लेना बहुत शुभ एवं फलदायी माना जाता है।
ज्योतिषीय स्थिति: ग्रहों का गोचर
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन सूर्य तुला राशि में रहेंगे और चंद्रमा धनु राशि में रात 10:14 बजे तक रहकर उसके बाद मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा.
यह गोचर आर्थिक, शारीरिक और मानसिक स्थिति के लिए लाभदायक माना गया है। विशेष रूप से जिन जातकों की कुंडली में मंगल या चंद्र दोष है, उनके लिए यह दिन दुर्लभ अवसर लेकर आया है — पूजा-अर्चना और व्रत से ग्रह संबंधित परेशानी दूर करने का उत्तम मुहूर्त है।
शुभ मुहूर्त और राहुकाल
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:42 मिनट से दोपहर 12:27 मिनट तक रहेगा। इस दौरान हनुमान पूजा, व्रत संकल्प, और नए कार्यों की शुरुआत करना उत्तम है। राहुकाल दिन के दूसरे पहर, दोपहर 2:52 मिनट से शाम 4:15 मिनट तक रहेगा — इस समय पूजा या कोई शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए.
हनुमान जी की पूजा विधि
कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन हनुमान पूजा विशेष महत्व रखती है। मंगलवार का दिन भी हनुमान जी को समर्पित होता है, इसलिए तिथि का योग अत्यधिक शुभ है। पूजा विधि इस प्रकार है:
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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान एवं नित्यकर्मादि करें
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पूजा स्थल साफ करें, एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं
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चौकी पर अंजनी पुत्र हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें
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सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल, और प्रसाद चढ़ाएं
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हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें
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दीप जलाकर आरती करें, आरती का आचमन करें
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पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें, पहले आसन को प्रणाम करें
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शाम के समय भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है
लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है, इसलिए लाल वस्त्र पहनें, लाल रंग-फूल, फल, एवं मिठाई अर्पित करें। इस विधि से पूजा करने पर जीवन के संकट, भय, अवरोध दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
व्रत नियम एवं लाभ
मंगलवार व्रत रखकर दिनभर सात्विक आहार लें, फल-फूल से पूजा करें और हनुमान जी को भोग अर्पित करें। व्रतधारी हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण का पाठ करें। इससे
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जन्म कुण्डली से मंगल दोष, भयरोग, मानसिक तनाव, कोर्ट-कचहरी, ऋण और शत्रु बाधा दूर होती है
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घर में सुख, शांति और धन की वृद्धि होती है
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अविवाहितों के विवाह के योग बनते हैं
पारंपरिक श्रद्धा, लोक मान्यता
इस दिन विशेष तौर पर हनुमान मंदिरों में भीड़ लगती है, भक्तजन संकटमोचन की कृपा और रक्षा की कामना करते हैं। घर में मंगल या अन्य ग्रह दोष निवारण हेतु हनुमान जी की स्तुति अत्याधिक शुभफलदायक है। कई स्थानों पर यह दिवस हनुमान जन्मोत्सव के तौर पर भी मनाया जाता है।
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त्रिपुष्कर व रवि योग का प्रयोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार —
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नए व्यापार, नौकरी, शिक्षा, संपत्ति-क्रय, वाहन-द्वार, विवाह, सगाई, विद्यारंभ, गृह प्रवेश, निवेश आदि के लिए यह दिन सर्वोत्तम है
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त्रिपुष्कर योग में किए गए कार्य तीन गुना फल देते हैं
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रवि योग में किए हर कार्य सफल होता है और नकारात्मक ग्रह-दोष प्रबल नहीं होते
कार्तिक शुक्ल सप्तमी पर हनुमान आराधना के कुछ मंत्र
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“ॐ हनुमन् जय हनुमते नमः”
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“ॐ हनुमते नमः मंगल निवारणाय स्वाहा”
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“श्रीराम दूताय हनुमते नमः”
इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
सांस्कृतिक महत्व एवं अन्य कार्य
कार्तिक सप्तमी पर समाज में भक्तजन प्रातः एवं संध्या समय मंदिर दर्शन, हनुमान जयंती आयोजन, संगीतमय पाठ एवं भजन कार्यक्रम करते हैं। युवाओं में मंगल दोष निवारण और शक्ति प्राप्ति हेतु हनुमान पूजा का चलन है।
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कार्तिक शुक्ल सप्तमी, 2025 का मंगलयोग, त्रिपुष्कर और रवि योग समष्टि रूप से अत्यंत शुभ है। इस दिन संकटमोचन हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा व व्रत करके भक्तजन न सिर्फ पूजा का पुण्य, बल्कि जीवनभर के कष्ट, भय व मानसिक अवरोध से छूटकारा प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से यह तिथि ग्रह-संकट निवारण एवं तीन गुना शुभफल प्राप्त करने के लिए उत्तम है.
इस पावन दिवस पर हनुमान जी की कृपा, मंगल दोष से मुक्ति, जीवन में सुख-शांति व समृद्धि की कामना हेतु श्रध्दा एवं नेक भाव से पूजा-अर्चना अवश्य करें।








