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भारतीय हस्तशिल्प ने विश्व में बढ़ाया सम्मान, कारीगर सम्मानित

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को नई दिल्ली में वर्ष 2023 और 2024 के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारतीय हस्तशिल्प न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह देश के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थायित्व का भी आधार बन चुका है।

राष्ट्रपति ने कहा, “कला हमारे अतीत की स्मृतियों, वर्तमान के अनुभवों और भविष्य की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है। हमारी सदियों पुरानी हस्तशिल्प परंपरा को जिंदा रखने का श्रेय पीढ़ी-दर-पीढ़ी मेहनत करने वाले कारीगरों को जाता है, जिन्होंने अपनी कला में देश की मिट्टी की खुशबू और आत्मा को सहेज रखा है।”

ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण में हस्तशिल्प की भूमिका

राष्ट्रपति ने बताया कि हस्तशिल्प क्षेत्र 32 लाख से अधिक लोगों को सीधा रोजगार प्रदान करता है, जिनमें से 68 प्रतिशत महिलाएं हैं। यह क्षेत्र ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाकों में रहने वाले परिवारों की आजीविका का प्रमुख साधन है, जो समावेशी विकास को नई दिशा दे रहा है। हस्तशिल्प से जुड़ी महिलाएं अब न केवल परिवार का सहारा हैं बल्कि अपनी कला के दम पर समाज में पहचान भी बना रही हैं।

पर्यावरण के अनुकूल और स्थायी विकास का प्रतीक

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारतीय हस्तशिल्प की सबसे बड़ी ताकत इसका स्थानीय और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहना है। यह उद्योग पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल है और बहुत कम कार्बन उत्सर्जन करता है। आज जब दुनिया सस्टेनेबल लाइफस्टाइल की ओर बढ़ रही है, तब भारतीय हस्तशिल्प वैश्विक स्तर पर पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के प्रतीक के रूप में उभर रहा है।

भारत की विरासत का वैश्विक प्रतिबिंब

राष्ट्रपति ने इस बात पर संतोष जताया कि भारतीय हस्तशिल्प उत्पाद आज दुनिया के कई देशों में भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक बन चुके हैं। राजस्थान की नील पॉटरी, कांचीपूरी सिल्क, बनारसी ब्रोकेड, कश्मीर की लकड़ी की नक्काशी या मणिपुर के बांस के उत्पाद—इन सबने भारत की लोककला को वैश्विक मंच पर नई पहचान दी है।

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उन्होंने कहा कि जीआई टैग (Geographical Indication) भारतीय हस्तशिल्प के लिए “वैश्विक पासपोर्ट” की तरह काम कर रहा है। इससे न सिर्फ उत्पादों की विशिष्ट पहचान बनी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय कारीगरों की विश्वसनीयता भी बढ़ी है। साथ ही, ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) जैसी पहलें स्थानीय कलाकारों को वैश्विक खरीदारों से सीधे जोड़ रही हैं।

युवा उद्यमियों के लिए अवसर

राष्ट्रपति ने कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र युवा उद्यमियों और डिज़ाइनरों के लिए नए अवसरों का द्वार खोल रहा है। भारत के पारंपरिक हुनर और आधुनिक डिज़ाइन सोच का संगम आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक हस्तशिल्प बाज़ार में अग्रणी बना सकता है।

समारोह में शामिल कारीगरों को सम्मानित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “आपकी मेहनत और सृजनशीलता ने भारत की पहचान को विश्व मानचित्र पर स्वर्णाक्षरों में अंकित किया है। भारतीय हस्तशिल्प सिर्फ कला नहीं, यह हमारी आत्मा का विस्तार है।”

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Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

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