प्रदूषित हवा साफ करने के लिए 2700 करोड़ निवेश: यूपी का विश्व बैंक-सहायता कार्यक्रम
Air Pollution: प्रदेश सरकार ने स्वच्छ वायु प्रबंधन कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें विश्व बैंक 30 करोड़ डॉलर (लगभग ₹2700 करोड़) की मदद करेगा। यह धनराशि वर्ष 2030 तक खर्च कर प्रदेश में हवा की गुणवत्ता सुधारने के लक्ष्य से पर्यावरण-हितैषी निवेश किया जाएगा।
विश्व बैंक के बोर्ड ने इस वित्तीय सहायता को मंज़ूरी दे दी है और इसके सकारात्मक प्रभाव का दायरा सिर्फ प्रदेश तक सीमित नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों तक भी फैलने की संभावना है। सरकार ने यह भी कहा है कि लगभग 39 लाख परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ स्वच्छ परिवहन, उद्योग और कृषि क्षेत्रों में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
https://tesariaankh.com/codeine-cough-syrup-smuggling-network-up-busted/
स्वच्छ वायु प्रबंधन कार्यक्रम के प्रमुख घटक
1. स्वच्छ ई-मोबिलिटी और सार्वजनिक परिवहन
-
लगभग 15,000 इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और 500 इलेक्ट्रिक बसें प्रमुख शहरों जैसे लखनऊ आदि में चलाई जाएंगी, जिससे वाहनों के उत्सर्जन में रुचि कमी आएगी।
-
शहरी क्षेत्रों में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा दिया जाएगा।
2. कृषि और अपशिष्ट प्रबंधन
-
किसानों को पशुधन अपशिष्ट प्रबंधन के बेहतर तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
-
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिये पौधारोपण पर जोर।
-
प्राकृतिक खेती और कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) जैसे विकल्पों के माध्यम से अमोनिया और मीथेन उत्सर्जन में कमी लाई जाएगी।
3. उद्योग और MSME सुधार
-
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को स्वच्छ तकनीक में बदलाव की सहायता प्रदान की जाएगी।
-
उद्योगों में क्लीन एनर्जी आपूर्ति को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
4. वाहन-उत्सर्जन नियंत्रण
-
लगभग 13,500 प्रदूषणकारी भारी वाहनों को कम उत्सर्जन वाले वाहनों से बदलने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं लागू की जाएंगी।
यूपी के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अनुसार, यह सहायता कार्यक्रम हवा को स्वच्छ तथा स्वस्थ बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
https://x.com/sakthi9986/status/1999323951030501882?s=20
भारत में वायु प्रदूषण: गंभीर स्थिति
देश में वायु प्रदूषण एक बढ़ता हुआ संकट है, जिसमें कई शहरों की हवा खतरनाक स्तर तक दूषित रहती है। हाल के AQI डेटा के अनुसार:
-
पुरानी 2025 डेटा के अनुसार, भारत के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में कई उत्तर प्रदेश के शहर शामिल हैं, जिसमें Hapur, Noida, Ghaziabad, Greater Noida, Bulandshahr, Meerut, Baghpat आदि शामिल हैं — कई शहरों का AQI ‘Very Poor’ से ‘Severe’ श्रेणी तक पहुंच चुका है।
-
खासकर NCR क्षेत्र में 6 शहरों पर यूपी का वर्चस्व प्रदूषण की खराब स्थिति में देखा गया है।
इन शहरों के अलावा वाहन उत्सर्जन, उद्योग, निर्माण धूल व ठंड के मौसम में कोहरे जैसी स्थितियाँ प्रदूषण के स्तर को और खराब करती हैं।
उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण से प्रभावित प्रमुख जिले
उत्तर प्रदेश में हवा की गुणवत्ता पर केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जारी डेटा के मुताबिक:
-
Hapur — बेहद ‘Severe’ प्रदूषित
-
Noida, Greater Noida, Ghaziabad — ‘Very Poor’/‘Severe’
-
Bulandshahr, Meerut, Baghpat — ‘Very Poor’ श्रेणी
(यूपी के ये शहर 2025 के ताज़ा AQI डेटा में देश के शीर्ष प्रदूषित शहरों में दर्ज हैं)
ये जिले ज़्यादातर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) से जुड़े होने के कारण प्रदूषण का गंभीर प्रभाव झेलते हैं।
विश्व बैंक की सहायता से यूपी सरकार द्वारा तैयार किया गया 2030 तक का स्वच्छ वायु कार्यक्रम एक विस्तृत रणनीति है, जो परिवहन, कृषि, उद्योग, अपशिष्ट प्रबंधन, ई-मोबिलिटी और ऊर्जा सुधार जैसे छह प्रमुख क्षेत्रों पर काम करेगा। इसका लक्ष्य है प्रदूषित हवा को साफ करना, स्वास्थ्य जोखिमों को कम करना और पर्यावरणीय सुधार लाना।
देश में वायु प्रदूषण: एक गंभीर स्वास्थ्य संकट — समाचार रिपोर्ट
भारत में वायु प्रदूषण अब एक भयावह सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है, जिससे लाखों लोगों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और जीवन की गुणवत्ता घट रही है। विशेषज्ञों के अनुसार देश भर के शहरों में बड़ी संख्या में वायु गुणवत्ता मानक से ऊपर प्रदूषण दर्ज किया जा रहा है।
कितने शहर प्रदूषित हवा की गिरफ्त में हैं?
वर्ष 2024–25 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लगभग 173 शहरों ने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक को पार कर लिया है — यानी ये शहर सुरक्षित AQI स्तर (AQI ≤ 40) से कहीं अधिक प्रदूषित हैं।
इसके अलावा एक वैश्विक सूची में 94 में से 83 सबसे प्रदूषित शहरों में भारतीय शहर शामिल हैं, यह बताते हुए कि घरेलू वायु गुणवत्ता संकट वैश्विक संदर्भ में भी严重 है।
उत्तर प्रदेश: लोगों की सांसों पर भारी पर्यावरणीय बोझ
उत्तर प्रदेश के कई शहर देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हैं। नवीनतम AQI रैंकिंग में 10 सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों में UP के छह शहर शामिल हैं:
-
Hapur
-
Noida
-
Ghaziabad
-
Greater Noida
-
Bulandshahr
-
Meerut
-
Baghpat
(इनमें से अधिकांश ‘Very Poor’ से ‘Severe’ श्रेणी में दर्ज हैं)
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के एनसीएपी (राष्ट्रीय साफ हवा कार्यक्रम) के तहत तय मानकों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 16 शहर पहले से ही “non-attainment” यानी मानक से ऊपर प्रदूषण वाले शहरों में शामिल हैं — ये शहर राष्ट्रीय मानदंड को पूरा नहीं कर पाए हैं।
वायु प्रदूषण से होने वाली प्रमुख बीमारियाँ
प्रदूषित हवा में पाए जाने वाले PM2.5, PM10, NO₂, SO₂ और अन्य हानिकारक पदार्थ सीधे मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे निम्नलिखित गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं:
-
श्वसन संबंधी रोग (जैसे दमा, ब्रोंकाइटिस)
-
हृदय रोग और स्ट्रोक
-
फेफड़े का कैंसर और अन्य गंभीर न्योवस्कुलर रोग
-
कमज़ोर उम्र के बच्चों तथा बुज़ुर्गों में फेफड़ों और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी
(संसदीय चर्चा और विशेषज्ञ बयान)
इन रोगों का जोखिम तब और भी बढ़ जाता है जब PM2.5 और PM10 जैसी सूक्ष्म कण हवा में लंबे समय तक उच्च स्तर पर रहते हैं — ये कण फेफड़ों और रक्तप्रवाह में गहराई तक पैठते हैं, जिससे दिल व फेफड़ों को सीधा नुकसान होता है।
क्यों वायु प्रदूषण अब सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट है?
विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण:
-
इतिहास में सबसे ज़्यादा जीवन-वर्ष खो रहा है — प्रदूषित हवा के कारण भारत में हर साल सैकड़ों हज़ारों लोगों की मौत होती है। (वैश्विक अध्ययनों के अनुसार)
-
जीवन प्रत्याशा में गिरावट — WHO मानकों पर हवा होने पर औसत जीवन प्रत्याशा में कई वर्षों का फर्क पड़ता है।
-
सर्दियों में धूल, वाहनों का धुआँ, पराली जलाना और मौसमीय परिस्थितियाँ मिलकर प्रदूषण को और गंभीर बनाते हैं।
उदाहरण के तौर पर नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़ जैसे शहरों में AQI ‘Very Poor’ से ‘Severe’ तक पहुँच चुका है, जिनका स्वास्थ्य खतरे के स्तर से ऊपर आना दिखा है।
सरकार और समाधान के प्रयास
राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय कार्यक्रम जैसे NCAP, स्वच्छ वायु प्रबंधन योजनाएँ, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, उद्योगों में स्वच्छ ऊर्जा, और कृषि अपशिष्ट प्रबंधन जैसी नीतियाँ लागू की जा रही हैं। इनका उद्देश्य PM2.5 और PM10 जैसी प्रमुख प्रदूषकों को कम करना है।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि स्थायी व प्रभावी परिवर्तन तभी संभव है जब:
-
वाहनों, उद्योगों और कृषि क्षेत्रों में प्राकृतिक व स्वच्छ तकनीकें आम-हुनर बनें
-
नीतियों के साथ सख़्त निगरानी और लागू-आयोजन सुनिश्चित हो
-
नागरिकों को स्वास्थ्य जोखिमों और बचाव विधियों के प्रति जागरूक किया जाए
देश में वायु प्रदूषण अब किसी अस्थायी समस्या नहीं है — यह एक लंबे समय तक रहने वाला, व्यापक और अंतःप्रभाव वाला स्वास्थ्य संकट बन चुका है, जिसका प्रभाव हर उम्र वर्ग पर देखा जा रहा है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में वायु गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है और इससे स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर बोझ बढ़ रहा है। वैज्ञानिक और सरकारी प्रयास आवश्यक हैं, लेकिन इसके लिए सामूहिक नीतिगत और व्यवहारिक परिवर्तन अनिवार्य हैं।








