पिछले दशक में भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय संकट बन गया है। शहरी केंद्रों में पारदर्शी धुंध (smog), वार्षिक और मौसमी तौर पर उच्च PM2.5/PM10 स्तर, तथा सीमाओं से आगे तक फैला हुआ प्रदूषण रोज़मर्रा की जिंदगी और अर्थव्यवस्था दोनों पर असर डाल रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की राष्ट्रीय AQI रिपोर्ट और SAFAR जैसे forecasting संस्थान भारत के कई शहरों में ‘Very Poor’ से लेकर ‘Severe’ श्रेणियों में AQI दर्ज कर रहे हैं — यह चित्र साल-दर-साल बिगड़ता दिखाई दे रहा है। Central Pollution Control Board+1
AQI और मापक प्रदार्थ क्या हैं?
AQI (Air Quality Index) एक समेकित सूचक है जो PM2.5, PM10, NO₂, SO₂, CO, O₃ जैसे मुख्य प्रदार्थों के मापन के आधार पर स्वास्थ्य-आधारित श्रेणी (Good → Severe) देता है। भारत में CPCB का राष्ट्रीय AQI प्लेटफ़ॉर्म सामान्य जनता और नीति-निर्माताओं के लिए वास्तविक-समय और 24-घंटे औसत जानकारी उपलब्ध कराता है। नज़र रखकर और चेतावनी प्रणाली लागू करके जोखिम कम किए जा सकते हैं, पर डेटा खुद बताता है कि समस्या व्यापक और दीर्घकालिक है। airquality.cpcb.gov.in
https://x.com/WHO/status/1995094950032417194?s=20
ताज़ा डेटा और वैश्विक तुलनाएँ
वैश्विक रिपोर्ट और विश्लेषण (State of Global Air, IQAir) बताते हैं कि भारत में औसत PM2.5 एक्सपोज़र विश्व के सबसे ऊँचे में से है; 2024/2025 के अंशांक बताते हैं कि भारत वैश्विक स्तर पर अत्यधिक प्रदूषित देशों में ऊपर के स्थानों पर है। State of Global Air रिपोर्ट और World Air Quality रिपोर्ट जैसी पब्लिकेशनों ने दिखाया है कि भारत तथा चीन मिलकर वैश्विक हवा-प्रदूषण से जुड़े रोग भार का बड़ा हिस्सा उठाते हैं। WHO की नए दिशानिर्देशों के अनुसार भी भारत के कई शहरों का प्रदूषण स्वास्थ्य-सुरक्षा स्तर से काफ़ी ऊपर है। stateofglobalair.org+2IQAir+2
प्रमुख कारण — संक्षेप में
- वातायन और मौसमीय कारण: शरद/शीत ऋतु में तापमान उल्का (inversion) और कम वेंटिलेशन मिलकर प्रदूषक को ज़मीन के पास रोक देते हैं, जिससे AQI अचानक बिगड़ता है।
- वाहन उत्सर्जन: बढ़ती गतिशीलता और पुराने, कम-नियंत्रित डीज़ल/पेट्रोल इंजन प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं। दिल्ली-NCR और अन्य महानगरों में ट्रैफ़िक योगदान महत्वपूर्ण है। The Times of India
- ऊर्जा व औद्योगिक स्रोत: कोयला आधारित बिजली उत्पादन, औद्योगिक चिमनियाँ और छोटे-बड़े फ़र्नेस/भट्ठियाँ लगातार PM और गैसीय प्रदूषक जोड़ते हैं।
- कृषि जला (Crop residue burning): पंजाब-हरियाणा के खेतों का पराली दहन न केवल स्थानीय बल्कि नगरों में भी बड़े स्तर पर पीएम फैलाता है।
- निर्माण-गत गतिविधियाँ व सड़कों की धूल: निर्माण साइट्स, असफाल्टिंग और नगरीय धूल PM10 और PM2.5 को बढ़ाती है।
- घरेलू बायोमास जलना: ग्रामीण और शहरी गरीब घरों में खाना पकाने और हीटिंग के लिए ठोस ईंधन का उपयोग आन्तरिक-बाह्य दोनों तरह से प्रदूषण जोड़ता है।
स्वास्थ्य पर असर
सांस की बीमारियाँ (एस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़), हृदय-रोग, स्ट्रोक तथा बचपन और गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताएँ बढ़ रही हैं। WHO और State of Global Air जैसी रिपोर्टों का संकेत है कि वायु प्रदूषण जीवन प्रत्याशा घटाने और रोग-भार बढ़ाने वाला एक प्रमुख जोखिम कारक है — और इसका बोझ भारत पर अनपाती रूप से अधिक है। stateofglobalair.org+1
https://tesariaankh.com/air-pollution-india-children-health-emergency/
सरकारी एजेंसियाँ और उनकी भूमिकाएँ
- CPCB (Central Pollution Control Board): राष्ट्रीय AQI पोर्टल, monitoring नेटवर्क और नीति-समर्थन (NAAQS — National Ambient Air Quality Standards) के लिए प्रमुख केंद्रीय संस्था है। CPCB का डेटा वास्तविक-समय AQI, ऐतिहासिक ट्रेंड और शहर/राज्य स्तर पर प्रदूषण निगरानी में इस्तेमाल होता है। airquality.cpcb.gov.in
- SAFAR (System of Air Quality and Weather Forecasting And Research): मौसम और हवा-गुणवत्ता का forecasting प्रदान करता है—विशेष रूप से दिल्ली, पुणे, मुंबई और अहमदाबाद जैसे शहरों के लिए—ताकि अलर्ट व प्रशासनिक कदम समय पर लिए जा सकें। safar.tropmet.res.in
- MoEFCC (Ministry of Environment, Forest & Climate Change) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCBs): नियम, नीति और अनुपालन सुनिश्चित करने में जिम्मेदार। राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय योजनाएँ और प्रेरक (जैसे बिजली संयंत्रों का डीज़ल/कोयला पर नियंत्रण, ई-बस योजनाएँ) इन्हीं के मार्गदर्शन से चलती हैं।
- IMD (India Meteorological Department): मौसम संबंधी परिमाण (विंड स्पीड, तापमान inversion इत्यादि) जो प्रदूषण फैलाव को प्रभावित करते हैं, IMD के माध्यम से समझे और forecast किए जाते हैं।
सरकार ने क्या कदम उठाए हैं — कुछ उदाहरण
- राष्ट्रीय AQI पोर्टल और CAAQMS (Continuous Ambient Air Quality Monitoring System) का विस्तार। airquality.cpcb.gov.in
- विज़न-रीजन/एक्शन-प्लान जैसे ‘Graded Response Action Plan’ (GRAP) आदि, जो अत्यधिक प्रदूषण के समय ट्रैफ़िक/निर्माण/उद्योग पर रोक लगा सकते हैं।
- किसानों के लिए पराली निस्तारण के वैकल्पिक उपायों के प्रोत्साहन तथा कंबाइंड मशीनरी और स्टोव-इंशियन पर प्रोत्साहन योजनाएँ।
- वैकल्पिक ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सब्सिडी और सार्वजनिक परिवहन के विस्तार का समर्थन।
कमी और चुनौतियाँ
- निगरानी नेटवर्क में अनियमित कवरेज: कई छोटे शहरों और ग्रामीण इलाक़ों में CAAQMS की कमी है, जिससे पूरे देश का सटीक मानचित्र बनाना कठिन है। Central Pollution Control Board
- स्रोत-विशिष्ट नीति कमजोरी: कई बार स्थानीय/क्षेत्रीय स्रोतों (जैसे कृषि जलाना या छोटे-उद्योग) पर असरदार और व्यवहारिक नियंत्रण नहीं हो पाते।
- मौसमीय अनुकूलन: शरद/शीत ऋतु में मौसम की स्थिति राहत कम देती है, और अल्पकालिक नीतियाँ ही असर दिखाती हैं — दीर्घकालिक सुधार के लिए ईंधन-बदलाव और संरचनात्मक शहरी परिवर्तन आवश्यक हैं।
व्यावहारिक नीतिगत सुझाव (Policy & Actionable steps)
- स्रोत-आधारित नियंत्रण: शहरों में वाहन उत्सर्जन मानकों का कड़ाई से पालन, निजी वाहन की जगह साझा और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा।
- ऊर्जा संक्रमण: कोयला-आधारित बिजली पर निर्भरता घटाकर नवीकरणीय ऊर्जा की तेज़ी से उपलब्धता और स्टोरेज बढ़ाना।
- कृषि-प्रवर्तनों का समर्थन: पराली के वैकल्पिक उपयोग (बायो-इनेर्जी), मशीन-आधारित कटाई व मिट्टी संरक्षण का प्रोत्साहन।
- शहरी हरित संरचना और धूल नियंत्रण: सड़कों की नियमित सफाई, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण मानक और हरित पट्टियाँ।
- निगरानी और डेटा पारदर्शिता: CPCB/SAFAR जैसी प्रणालियों का विस्तार कर छोटे शहरों और औद्योगिक क्लस्टरों के लिए वास्तविक-समय अलर्ट। safar.tropmet.res.in+1
- सामुदायिक भागीदारी और स्वास्थ्य चेतना: वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों पर जनशिक्षा और संवेदनशील समूहों (बच्चे, वृद्ध, गर्भवती) के लिए सुरक्षा निर्देश।
भारत में वायु-गुणवत्ता का बिगड़ता हुआ रुझान बहु-आयामी और जटिल समस्या है — इसमें मौसम, आर्थिक विकास, ऊर्जा-नीतियाँ और स्थानीय व्यवहार सभी जुड़े हैं। CPCB, SAFAR और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा दिए गए डेटा से स्पष्ट है कि स्थिति तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों स्तरों पर नीतिगत हस्तक्षेप की मांग करती है। WHO के दिशानिर्देशों और State of Global Air रिपोर्ट जैसी अंतरराष्ट्रीय सूचनाओं को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय और स्थानीय-स्तर पर समेकित, स्रोत-विशिष्ट और न्यायसंगत नीतियाँ अपनाने की आवश्यकता है। यदि नीति-निर्माता, उद्योग, किसान और नागरिक मिलकर तेज़, परिभाषित और पारदर्शी कदम उठाएँ तो वायु-गुणवत्ता में ठोस सुधार संभव है। World Health Organization+1
संदर्भ / स्रोत (कुछ प्रमुख लिंक)
- CPCB — National Air Quality Index / AQI रिपोर्ट और डेटा। airquality.cpcb.gov.in+1
- SAFAR (System of Air Quality and Weather Forecasting And Research) — शहरी AQ और forecast। safar.tropmet.res.in
- WHO — Global Air Quality Guidelines (2021)। World Health Organization+1
- State of Global Air Report 2024 — वैश्विक और भारत-विशेष PM2.5 डेटा व स्वास्थ्य प्रभाव। stateofglobalair.org+1
- World/Air Quality Reports (IQAir/World Air Quality Report 2024) — भारत की वैश्विक रैंकिंग एवं प्रदर्शन। IQAir+1








