Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती (प्रकाश पर्व) इस वर्ष 5 नवंबर (बुधवार) को कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पूरे देश और दुनिया में अपार श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाई जाएगी। सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी, का जन्मदिन मानवता, समानता, करुणा और ‘नाम जपो, किरत करो, वंड छको’ (ईश्वर का नाम जपो, मेहनत करो और बाँटकर खाओ) के उपदेशों को याद करने का अवसर है।
देशभर में इस महापर्व को मनाने के लिए गुरुद्वारों और प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारियां की जा रही हैं।
देशभर में उत्सव की मुख्य झलकियाँ
गुरुपर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
- नगर कीर्तन और प्रभात फेरियां: गुरुपर्व से कुछ दिन पहले ही प्रभात फेरियां शुरू हो जाती हैं। मुख्य उत्सव के दिन, भव्य नगर कीर्तन आयोजित किए जाते हैं, जिसमें ‘पंज प्यारे’ (पांच प्यारे) गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजी पालकी में लेकर चलते हैं। शबद-कीर्तन की गूंज से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।
- अखंड पाठ और कीर्तन: सभी गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है, जिसके बाद विशेष कीर्तन दरबार आयोजित होते हैं।
- लंगर सेवा: गुरु जी की शिक्षा के अनुरूप, इस दिन लंगर का आयोजन किया जाता है, जो समानता और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है। हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं।
भारत के प्रमुख गुरुद्वारों में विशेष आयोजन:
- श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर: यहाँ विशेष दीवान, आतिशबाजी और भव्य रोशनी की जाती है, जिसे देखने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु उमड़ते हैं।
- गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली: राजधानी में इस गुरुद्वारे में विशेष धार्मिक समागम और विशाल लंगर का आयोजन होता है, जहाँ हजारों स्वयंसेवक सेवा करते हैं।
- तख्त श्री पटना साहिब, पटना (बिहार): गुरु नानक देव जी के साथ-साथ सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली होने के कारण यहाँ विशेष आयोजन होता है, जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
- जम्मू-कश्मीर में तैयारियां: जम्मू जिले में, प्रशासन ने सुरक्षा, यातायात प्रबंधन और स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। एडीसी अंसुया जामवाल के नेतृत्व में विशेष टीमों ने मुख्य गुरुद्वारों जैसे दिगियाना, नानक नगर और रणबीर सिंह पुरा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति और कालाबाजारी रोकने के लिए बाजार निरीक्षण भी बढ़ाए गए हैं।
आस्था का पुल: पाकिस्तान यात्रा और करतारपुर कॉरिडोर
प्रकाश पर्व के अवसर पर, सिख समुदाय के लिए पाकिस्तान स्थित गुरु नानक देव जी के जन्म स्थान ननकाना साहिब (वर्तमान पाकिस्तान) और करतारपुर साहिब की यात्रा का विशेष महत्व है।
https://tesariaankh.com/mathura-kans-vadh-mela-utsav-2025/
- वीज़ा जारी: पाकिस्तान उच्चायोग ने भारत से 2100 से अधिक सिख तीर्थयात्रियों को ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब में गुरुपर्व समारोहों में शामिल होने के लिए वीज़ा जारी किए हैं। ये यात्राएं 4 से 13 नवंबर 2025 के बीच आयोजित होंगी।
- प्रोटोकॉल के तहत यात्रा: ये तीर्थयात्री 1974 के प्रोटोकॉल के तहत, अटारी-वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे।
- करतारपुर कॉरिडोर: यह समझौता, जिसे पिछले साल पाँच और वर्षों के लिए बढ़ाया गया था, भारतीय तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर तक वीज़ा-मुक्त पहुँच प्रदान करता है।
सुरक्षा और राजनीतिक चिंताएँ:
अंतरराष्ट्रीय यात्रा के इस पवित्र मौके पर कुछ चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं:
https://x.com/anumdilip/status/1984832641808412829
- सेवा शुल्क: तीर्थयात्रियों की लगातार मांग के बावजूद, पाकिस्तान द्वारा प्रति तीर्थयात्री 20 अमेरिकी डॉलर का सर्विस चार्ज अभी भी बरकरार है।
- भारत विरोधी प्रचार का विरोध: मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के बीच भारत विरोधी बातें फैलाने की योजना को ईटीपीबी (Evacuee Trust Property Board) और पीएसजीपीसी (Pakistan Sikh Gurdwara Parbandhak Committee) ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसी राजनीतिकरण की कार्रवाई भारत को तीर्थयात्राएं अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे धार्मिक पर्यटन को नुकसान होगा।
गुरु नानक देव जी का संदेश
गुरुपर्व हमें गुरु नानक देव जी के मूल दर्शन की याद दिलाता है, जो मानवता और एकता पर आधारित है:
- ईश्वर एक है (एक ओंकार): ईश्वर एक है और वह सभी जगह मौजूद है।
- समानता: जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
- सेवा और सद्भावना: निस्वार्थ सेवा करना और सभी के साथ प्रेम तथा सद्भाव से रहना।
यह प्रकाश पर्व सिख समुदाय के लिए अपने धर्म और मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने और पूरे विश्व को शांति, एकता और भाईचारे का संदेश देने का अवसर है।








