नई दिल्ली। पश्चिम एशिया एक बार फिर भू-राजनीतिक टकराव के केंद्र में है, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। गाज़ा में लंबे संघर्ष और मानवीय संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बहुचर्चित 20-पॉइंट गाज़ा पीस प्लान को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से जहां इज़रायल और पश्चिमी दुनिया ने राहत की सांस ली है, वहीं हमास और रूस ने खुले तौर पर इसका विरोध किया है। अब सवाल यह है कि— ट्रंप का यह प्लान क्या है, रूस क्यों विरोध कर रहा है और गाज़ा में शांति की वास्तविक संभावना क्या है?
ताजा जानकारी ये है कि कार्यक्रम में शामिल होने के बाद तुर्किये के विदेश मंत्री हकान फिदान ने कहा, अमेरिका की योजना पर गाजा में लागू हुआ युद्धविराम आगे नहीं बढ़ रहा है। इससे क्षेत्रीय शांति की अमेरिकी योजना के विफल होने का खतरा पैदा हो गया है। हमास से हथियार डलवाने से पहले गाजा में फलस्तीनियों के प्रशिक्षित पुलिस बल की तैनाती होनी चाहिए। इस बल में हमास लड़ाके न हों बल्कि गाजा के फलस्तीनी युवा हों।
⭐ क्या है ट्रंप का गाज़ा प्लान?
यूएन प्रस्ताव में शामिल ट्रंप प्लान का पहला चरण पहले ही सफल बताया जा रहा है—
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इज़रायल और हमास के बीच युद्धविराम,
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बंदियों की रिहाई,
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और अब गाज़ा में एक अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) भेजने की अनुमति।
यह बल हथियारबंद गतिविधियों पर रोक लगाएगा, गाज़ा का “डिमिलिटराइज़ेशन” करेगा और फिलीस्तीनी सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगा।
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को “शांति और समृद्धि की दिशा में ऐतिहासिक कदम” बताया है और कहा है कि यह हमास को पूरी तरह निरस्त्र करने में मदद करेगा।
⭐ रूस क्यों कर रहा है विरोध?
रूस ने परिषद में अपना एक अलग प्रस्ताव पेश कर ट्रंप योजना को चुनौती दी।
उसका तर्क था कि:
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अमेरिकी प्लान “इज़रायल की सुरक्षा को प्राथमिकता” देता है
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और “फिलिस्तीन की राजनीतिक आकांक्षाओं को कमजोर” करता है।
हालांकि अरब और मुस्लिम देशों के समर्थन के बाद रूस ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया और मतदान में हिस्सा न लेते हुए परहेज़ किया।
⭐ अरब लीग और मिस्र का रुख
मिस्र, यूके और अरब लीग— तीनों ने यूएन प्रस्ताव का समर्थन किया है।
इनकी दलील है कि—
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यह “पहला कदम” है,
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इससे युद्धविराम टिकाऊ होगा,
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मानवीय सहायता में तेजी आएगी,
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और गाज़ा के पुनर्निर्माण का रास्ता साफ होगा।
अरब लीग महासचिव अबुल-घैत ने कहा—
“यह रास्ते की शुरुआत है, अंत नहीं। असली सफलता तभी होगी जब प्रस्ताव धरातल पर लागू होगा।”
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⭐ हमास का सख्त विरोध
हमास का कहना है कि वह हथियार नहीं डालेगा।
उनका दावा है—
“अंतरराष्ट्रीय बल गाज़ा पर एक नई नियंत्रण व्यवस्था थोपने की कोशिश है, जिसे जनता और प्रतिरोध गुट स्वीकार नहीं करेंगे।”
https://x.com/muzahir12/status/1981957466339553698?s=20
⭐ शांति की संभावनाएँ क्या हैं?
कुछ कारक उम्मीद जगाते हैं:
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अरब देशों का समर्थन
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यूएनएससी की मंजूरी
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इज़रायल–हमास का अस्थायी सीजफायर
लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं:
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हमास का विरोध
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रूस–अमेरिका टकराव
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इज़रायल का फिलीस्तीनी राज्य पर स्पष्ट विरोध
अभी यह तय नहीं है कि यह योजना गाज़ा को स्थिर करेगी या क्षेत्र को नए समीकरणों की ओर ले जाएगी। मगर इतना तय है कि मध्य पूर्व की राजनीति आने वाले महीनों में सबसे बड़ा मोड़ लेने वाली है।








