Frozen Shoulder: कंप्यूटर पर घंटों काम करते हैं? हो सकता है आपको ‘फ्रोजन शोल्डर’, जानें लक्षण और बचाव। आज की जीवनशैली ऐसी है कि सारा काम या तो कंप्यूटर पर होता है या फोन के जरिए। इससे युवाओं में गर्दन और कंधे से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
कई बार एक्सरसाइज या मालिश से काम चल जाता है, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है और करवट लेने और हाथों को हिलाने तक में परेशानी होती है। इस स्थिति को फ्रोजन शोल्डर कहते हैं। आयुर्वेद में भी अवबाहुक शूल कहा गया है।
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आयुर्वेद में अवबाहुक शूल को वात दोष और कफ दोष से जोड़ा गया है। जब शरीर में वात दोष और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं, तो मांसपेशियां और हड्डियों के जोड़ कमजोर होने लगते हैं और उनपर वसा का जमाव होने लगता है। इस स्थिति में जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में जकड़न, कंधे से लेकर गर्दन में खिंचाव और ज्यादा खराब स्थिति में गर्दन का न मोड़ पाना शामिल है। अवबाहुक शूल के होने के कई कारण हैं, जैसे ज्यादा तला-भूना खाना, कम पानी पीना, ज्यादा मेहनत या भार उठाने वाला काम करना, ज्यादा समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहना, या ज्यादा समय तक पानी में रहना।

आयुर्वेद में अवबाहुक शूल से निजात पाने के कई तरीके बताए गए हैं। सबसे पहले बात करते हैं तेल और मालिश के जरिए दर्द से राहत पाने की। तिल का तेल, दशमूल तेल या बालाश्वगंधा तेल से खिंचाव होने वाले हिस्से पर मालिश कर सकते हैं। रोजाना सुबह 10 मिनट और शाम को 10 मिनट तक मालिश करें। इससे मांसपेशियों में रक्त संचार बढ़ेगा और दर्द और जकड़न में राहत मिलेगी। इसके अलावा पट्टी स्वेदन कर सकते हैं। इसके लिए गर्म पट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं और भाप लगाकर तवे की सहायता से सेक सकते हैं।
कुछ औषधियों और घरेलू चीजों का सेवन कर भी राहत पाई जा सकती है, जैसे हल्दी वाला दूध, जो मांसपेशियों की जकड़न कम करेगा और दर्द से राहत मिलेगी। इसके अलावा गिलोय का रस भी फायदेमंद होता है। सुबह खाली पेट गिलोय का रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और हड्डियां भी मजबूत होंगी।
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अश्वगंधा और योगराज गुग्गुल का चूर्ण भी ले सकते हैं। रात को सोते समय दोनों चूर्ण को अलग-अलग लिया जा सकता है, ये दर्द और सूजन में आराम देता है। इसके साथ ही गर्म पानी से नहाने से भी आराम मिलेगा।








