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Codeine Cough Syrup Smuggling in UP: फर्जी फर्म, सिंडिकेट और बड़े नेटवर्क का खुलासा

कोडीन कफ सीरप की अवैध तस्करी पर शिकंजा: 

Codeine Cough Syrup Smuggling in UP: उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सीरप की अवैध तस्करी और डायवर्जन के खिलाफ एसटीएफ, पुलिस और एफएसडीए (औषधि सुरक्षा एवं वन विभाग) की संयुक्त कार्रवाई लगातार तेज़ हो रही है। दो महीनों में की गई राज्यव्यापी छापेमार कार्रवाई में फर्जी फर्मों, अंतरराज्यीय तस्करों और उनके नेटवर्क का बड़ा खुलासा हुआ है। कई जिलों में संचालित सिंडिकेट की कड़ियां उत्तराखंड, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बंगाल और नेपाल-बांग्लादेश तक फैली हुई मिली हैं।

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कैसे चलता था कोडीन सीरप का काला कारोबार? 

जांच में सामने आए तथ्यों के अनुसार:

  • 2019 से गिरोह फर्जी दवा फर्में बनाकर कोडीनयुक्त कफ सीरप की बड़ी खेपों की चालान-बिलिंग करता था।
  • असली दवा तस्करों को दी जाती थी, जबकि रेकॉर्ड में उसे वैध बिक्री दिखाया जाता था।
  • कफ सीरप को उत्तर प्रदेश से नेपाल व बांग्लादेश भेजने के लिए बिहार, झारखंड, बंगाल के रास्ते इस्तेमाल होते थे।
  • चार्टर्ड अकाउंटेंट और दवा फर्म मालिकों की मिलीभगत से 60–65 से ज़्यादा फर्जी कंपनियां बनाकर सप्लाई चेन तैयार की गई।
  • 2024 में लखनऊ में पकड़ी गई फेंसेंडिल की बड़ी खेप भी इसी नेटवर्क से जुड़ी हुई पाई गई थी।

एफएसडीए की बड़ी कार्रवाई: 31 जिलों में 133 फर्मों पर छापे

एफएसडीए की आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने जानकारी दी कि:

  • 2 महीनों में 31 जिलों में 133 औषधि फर्मों पर छापेमारी की गई।
  • कई प्रतिष्ठान कागज़ों में ही मौजूद पाए गए, जिन्हें सिर्फ बिलिंग प्वाइंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था।
  • 332 औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच में 133 प्रतिष्ठान अवैध डायवर्जन में शामिल पाए गए।
  • लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच से नेपाल तथा
    वाराणसी, गाजियाबाद से बांग्लादेश भेजने का प्रमाण मिला है।
  • एफएसडीए केवल लाइसेंस रद्द नहीं कर रहा, बल्कि एफआईआर और कठोर दंडात्मक कार्रवाई भी सुनिश्चित करा रहा है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर छोटी फर्मों को अनावश्यक परेशान न करने और सिर्फ संगठित अवैध कारोबारियों पर कार्रवाई केंद्रित रखने का आदेश भी जारी किया गया है।

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शुभम और साथियों की गिरफ्तारी, नेटवर्क की कड़ियाँ उजागर

मुख्य आरोपी शुभम जौहर और उसके साथियों पर पुलिस और एसटीएफ लगातार कार्रवाई कर रही है। गिरोह की गतिविधियाँ सामने आने के बाद पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे थे, जिसके बाद विशेष जांच टीम (SIT) भी बनाई गई है।

सहारनपुर में दो सगे भाइयों की गिरफ्तारी

एसटीएफ ने सहारनपुर क्षेत्र से अभिषेक शर्मा और शुभम को गिरफ्तार किया। दोनों:

  • फर्जी फर्मों के जरिए फेंसेंडिल और कोडीन सीरप की अवैध खरीद-फरोख्त करते थे।
  • माल को बिहार-झारखंड-बंगाल होते हुए बांग्लादेश भेजते थे।
  • इनके पास से मोबाइल, दस्तावेज और डायवर्जन से जुड़े अहम साक्ष्य मिले हैं।
  • कई फर्में जैसे मारुति मेडिकोज, एके फार्मास्यूटिकल्स आदि नाम सामने आए।

अभिषेक शर्मा पर पहले से भी गाज़ियाबाद में एनडीपीएस एक्ट सहित गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं।

कारोबार संचालन में ‘बैंकिंग-फाइनेंस मैनेजर’ की भूमिका

पूछताछ में पता चला कि गिरोह में बैंकिंग और खातों का प्रबंधन विशाल सिंह, विभोर राणा, सौरभ त्यागी और अन्य के पास था। चार्टर्ड अकाउंटेंट अरुण सिंघल फर्जी फर्में तैयार करवाता था। गिरोह ने जीआर ट्रेडिंग के नाम से 65 फर्मों की बिलिंग का उपयोग किया।

शुभम ने बताया कि वह दुबई की नौकरी छोड़कर भारत आया था, जहां उसके नाम पर फर्म बनाकर उसे गिरोह में शामिल किया गया और हर महीने लगभग एक लाख रुपये दिए जाते थे।

हाईकोर्ट ने भी दी कड़ी टिप्पणी, याचिका खारिज

हाईकोर्ट ने कफ सीरप से जुड़े एक मामले में आरोपी नीलेश कुमार श्रीवास्तव की याचिका खारिज कर दी। आरोप है कि वह झारखंड से अवैध रूप से कफ सीरप मंगाकर बाजार में बेचता था। याचिकाकर्ता का दावा था कि उसने मार्च 2025 में कारोबार बंद कर दिया था, लेकिन रिपोर्टों और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया।

जेल में बंद प्रमुख आरोपियों की पुलिस रिमांड मंज़ूर

तस्करी के गंभीर मामले में आरोपी निधाहित सिंह और अमित कुमार टाटा की पुलिस रिमांड मंज़ूर कर ली गई। सीजेएम आलोक कुमार वर्मा ने दोनों को 55 घंटे की पुलिस कस्टडी में सौंपने का आदेश दिया है।

किन जिलों में कार्रवाई हुई?

वाराणसी, जौनपुर, कानपुर नगर, गाजीपुर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, बहराइच, संतकबीरनगर, हरदोई, अमेठी, बस्ती, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, अबेडकरनगर, आजमगढ़, सहारनपुर, बरेली, सुल्तानपुर, चंदौली, मीरजापुर सहित कई जिलों में अभियान चलाया गया।

एफएसडीए, एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से यह स्पष्ट हुआ कि कोडीन युक्त कफ सीरप का कारोबार छोटे-मोटे विक्रेताओं का नहीं, बल्कि एक संगठित अंतरराज्यीय नेटवर्क का हिस्सा है।
फर्जी कंपनियों, दवा व्यापारियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट से लेकर परिवहन और बैंकिंग चैन तक, कई स्तर पर भ्रष्टाचार और अवैध सप्लाई का जाल फैला हुआ था।

सरकार की कड़ी निगरानी और निरंतर छापेमारी से इस नेटवर्क पर अब धीरे-धीरे शिकंजा कसता जा रहा है।

Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

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