नई दिल्ली: 19 अक्टूबर, 2025: विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस के अवसर पर, केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए एक बड़ा संदेश दिया है। मंत्रालय ने ज़ोर दिया है कि ऑस्टियोपोरोसिस—जिसे अक्सर ‘खामोश बीमारी’ कहा जाता है—के लिए शीघ्र निवारक देखभाल और जीवनशैली में सुधार लाना अत्यंत आवश्यक है।
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जो हड्डियों को धीरे-धीरे कमज़ोर कर देती है, जिससे उनके टूटने (फ्रैक्चर) का खतरा बढ़ जाता है। कई बार कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने के बाद ही इसका पता चलता है।
क्यों कमज़ोर होती हैं हड्डियाँ?
आयुर्वेद के विशेषज्ञ ऑस्टियोपोरोसिस को मुख्य रूप से ‘वात दोष’ के बिगड़ने से जोड़ते हैं, जो हड्डियों की मज़बूती और घनत्व को कम करता है। यह प्राचीन समझ आधुनिक विज्ञान की उस राय से मिलती है, जो ऑस्टियोपोरोसिस को हड्डियों के विखनिजीकरण (de-mineralization) और उम्र से संबंधित हार्मोनल परिवर्तनों से जोड़ता है।
सीसीआरएएस (CCRAS) के महानिदेशक, प्रो. रविनारायण आचार्य ने कहा, “ऑस्टियोपोरोसिस एक बढ़ती हुई समस्या है, लेकिन आयुर्वेद के ज्ञान से इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। आयुर्वेद शीघ्र हस्तक्षेप, संतुलित आहार और सही जीवनशैली पर बल देता है, जो हमें मज़बूत हड्डियों और स्वस्थ बुढ़ापे की ओर ले जाता है।”
आयुर्वेद का समग्र समाधान: हड्डियों को फिर से जवान बनाएँ
आयुर्वेद केवल उपचार पर ही नहीं, बल्कि हड्डियों की मज़बूती को बहाल करने और क्षय को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) ने निम्नलिखित उपायों पर प्रकाश डाला है, जिनके वैज्ञानिक प्रमाण भी जुटाए जा रहे हैं:
https://x.com/SureshSurgeon/status/1980147172407669039
| आयुर्वेदिक उपाय | विवरण |
| रसायन चिकित्सा (कायाकल्प) | आयुर्वेद के कायाकल्प योग (Rasayana formulations) हड्डियों की प्रणाली को मज़बूत करते हैं और उम्र से संबंधित गिरावट को धीमा करते हैं। |
| स्नेहन (चिकित्सीय मालिश) | महानारायण तेल, दशमूल तेल जैसे औषधीय तेलों से मालिश करने से गहरे ऊतकों को पोषण मिलता है और जोड़ों का स्वास्थ्य सुधरता है। |
| शास्त्रीय हर्बल योग | लाक्षा गुग्गुलु और प्रवाल पिष्टी जैसी तैयारी पारंपरिक रूप से हड्डियों की मज़बूती बढ़ाने और टूटी हड्डियों के उपचार में मदद करती है। |
| वात-शांत आहार | कुलत्थी (घोड़ा चना), शुंठी (अदरक), रसोना (लहसुन), अनार, आम और अंगूर जैसे खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने में सहायक है। |
| योग और व्यायाम | विशिष्ट योगासन लचीलापन बढ़ाते हैं, हड्डियों में रक्त संचार बेहतर करते हैं और जोड़ों की अकड़न को रोकते हैं। |
विशेष अपील: आयुष मंत्रालय ने बुजुर्गों और रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं से विशेष रूप से आग्रह किया है कि वे फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने के लिए आयुर्वेदिक निवारक उपायों, सही पोषण और हल्की शारीरिक गतिविधियों को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ।








