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जानें सोशल मीडिया पर वायरल घरेलू नुस्खों की सच्चाई: बाल, दिमाग और सेहत का विज्ञान

सोशल मीडिया पर अक्सर घरेलू नुस्खे ट्रेंड करते रहते हैं—कभी बालों में तेल लगाने से लेकर रात भर नींद लाने के उपाय तक। लोग इन्हें आजमाते हैं, साझा करते हैं और अपनी सेहत सुधारने की उम्मीद रखते हैं। दिलचस्प यह है कि इन तमाम घरेलू टिप्स के पीछे आयुर्वेद का गहरा विज्ञान छिपा होता है। आयुर्वेद के सिद्धांत बताते हैं कि छोटी-छोटी आदतें ही शरीर, मन और मस्तिष्क को संतुलित रखती हैं।

1. क्या गलतियों की वजह से झड़ रहे आपके बाल?

बहुत ज्यादा तेल लगाना, बहुत गर्म तेल का इस्तेमाल, रातभर तेल लगाकर सोना—ये वही गलतियां हैं जो आयुर्वेद के अनुसार बालों को कमजोर करती हैं।
हल्का गुनगुना तेल, उचित मात्रा में और सप्ताह में 2–3 बार—यही स्वस्थ बालों का मूल मंत्र है।
स्कैल्प को सांस लेने देने की जरूरत है और हर व्यक्ति की प्रकृति—वात, पित्त, कफ—के अनुसार तेल भी अलग होता है। यही कारण है कि सही तेल चुनना भी उतना ही जरूरी है जितना उसे सही तरीके से लगाना।

2. आयुर्वेद के नवरत्न: नौ आदतें जो जीवन बदल देती हैं

आयुष मंत्रालय द्वारा बताए गए ‘आयुर्वेद के नवरत्न’ आज के तनावभरे समय में भी उतने ही कारगर हैं।
संपूर्ण नींद, रोज मालिश, योग-व्यायाम, नस्य कर्म, सही समय पर भोजन, प्राकृतिक वेगों को न रोकना, ऋतुचर्या, च्यवनप्राश- अश्वगंधा जैसे रसायन और मौसम के अनुसार जीवनशैली—ये नौ रत्न शरीर को आतंरिक रूप से मजबूत बनाते हैं।

https://x.com/genius_thoughtz/status/1962488294887010630?s=20
आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि इन नौ आदतों को जीवन में उतार लिया जाए तो अधिकतर बीमारियां पास ही नहीं फटकतीं।

3. इलायची: गले से लेकर छालों तक की छोटी-मोटी बीमारियों की सहायक

रोजाना एक इलायची खाने से सीने की जलन, खट्टी डकारें, अपच, गले की खराश, हिचकी, मुंह के छाले—इन सभी में आश्चर्यजनक राहत मिलती है।
इलायची में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और सुगंधित तेल संक्रमण को कम करते हैं और गले की नसों को आराम पहुंचाते हैं।
आयुष मंत्रालय भी इलायची को रोजमर्रा की जीवन शैली में शामिल करने की सलाह देता है।

4. ‘मेमोरी विटामिन’ कोलीन: दिमाग की ऊर्जा का ईंधन

थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान न लगना या बातें भूलना—ये संकेत हैं कि शरीर ही नहीं, दिमाग भी पोषण मांग रहा है।
सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा के अनुसार कोलीन दिमाग की कोशिकाओं का निर्माण करता है और मेमोरी का प्रमुख आधार है।
अंडा, मछली, दूध, दही, सोया, ब्रोकली, मशरूम, मूंगफली, क्विनोआ—इनमें कोलीन भरपूर पाया जाता है।
वैज्ञानिक चिंताजनक तथ्य बताते हैं कि दुनिया की 90% आबादी कोलीन की पर्याप्त मात्रा नहीं लेती।

5. सुबह का नाश्ता और ‘सेकंड मील इफेक्ट’

सुबह जो खाते हैं, उसका असर सिर्फ सुबह तक नहीं रहता—बल्कि दोपहर और रात के शुगर लेवल पर भी पड़ता है।
मीठे और प्रोसेस्ड नाश्ते से दोपहर का शुगर 50% ज्यादा बढ़ सकता है।
वहीं प्रोटीन और फाइबर युक्त नाश्ता—अंडे, दही, दलिया, दाल चीला—पूरे दिन शुगर स्पाइक को नियंत्रित रखता है।

6. मटर के छिलके—कूड़ा नहीं, सुपरफूड!

हम जिन मटर के छिलकों को फेंक देते हैं, वही फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन C–K और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।
ये पाचन सुधारते हैं, वजन नियंत्रित करते हैं और आंखों के लिए भी लाभकारी होते हैं।
इनकी सब्जी या चटनी न सिर्फ स्वाद बढ़ाती है, बल्कि शरीर को पोषण भी देती है।

https://tesariaankh.com/pollution-impact-on-babies-asthma-birth-risks-india/

इन सभी नुस्खों का सार एक ही है—आयुर्वेद बताता है कि समाधान हमेशा सरल है, बस आदतों में अनुशासन लाना है।

Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

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