Akshardham Temple: दशहरा का पावन पर्व नई दिल्ली स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में इस वर्ष ‘विश्वशांति महायज्ञ’ के साथ अत्यंत भव्यता और आध्यात्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। वैश्विक शांति और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस महायज्ञ में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से भाग लिया।
सूर्योदय के समय सुबह 6 बजे महायज्ञ का शुभारंभ हुआ और यह 9 बजे तक चला। समारोह में कुल 108 यज्ञ कुंडों को शामिल किया गया, जहाँ संतों ने पवित्र वैदिक मंत्रों के पाठ के साथ आध्यात्मिक ऊर्जा का आह्वान किया।
पारिवारिक एकता और आध्यात्मिकता पर जोर
इस अवसर पर दिल्ली अक्षरधाम मंदिर के मुख्य प्रभारी संत पूज्य मुनिवत्सलदास स्वामी ने भक्तों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि परम पूज्य महंतस्वामी महाराज की दिव्य प्रेरणा से यह यज्ञ विश्व में शांति और सद्भावना के लिए आयोजित किया गया।
मुनिवत्सलदास स्वामी ने पारिवारिक मूल्यों पर जोर देते हुए कहा, “इस यज्ञ में विशेष प्रार्थनाएं की गईं कि प्रत्येक परिवार एकजुट रहे, मजबूत बने और आध्यात्मिक मूल्यों में रचा-बसा रहे।” उन्होंने सभी से पारिवारिक एकता और आध्यात्मिकता को जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया।
युवा दर्शनार्थी ट्विंकल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि श्रद्धालु भक्ति और तप के आनंद में सराबोर रहे। उन्होंने न केवल अपने लिए, बल्कि वैश्विक शांति, सद्भाव और प्रेम के लिए भी प्रार्थना की और विजयादशमी पर्व के सच्चे अर्थ पर आत्म-चिंतन किया।
इस महायज्ञ का मर्म गीता के उपदेश, यानि “परस्पर पोषण के साथ परम कल्याण को प्राप्त करना” था। भक्तों ने इस पवित्र अवसर पर अपने जीवन से नकारात्मकता, अहंकार या घृणा को दूर करने का प्रण लिया। अक्षरधाम मंदिर का पूरा वातावरण एक प्रबल आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा, जिससे सभी उपस्थित भक्त आनंद और संतोष की भावना से ओतप्रोत हो गए।








