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RBI फिर घटा सकता है ब्याज दरें, लोन होंगे सस्ते

नई दिल्ली: ग्लोबल इंवेस्टमेंट फर्म गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस वर्ष के अंत से पहले नीतिगत ब्याज दरों (Policy Rates) में एक और कटौती कर सकता है। यह कटौती अर्थव्यवस्था में ऋण की मांग (Credit Demand) को बढ़ावा देने और विकास की रफ्तार को तेज करने में मदद करेगी।

ब्याज दरों में कटौती की मुख्य वजह

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संभावित कदम भारत में महंगाई (Inflation) में आई रिकॉर्ड गिरावट के कारण संभव होगा।

  • भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति दर सितंबर में गिरकर पिछले 8 वर्षों के निचले स्तर $1.54\%$ पर आ गई है।
  • महंगाई कम होने से RBI को विकास को बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती करने और बाजार में अधिक लिक्विडिटी (तरलता) डालने का मौका मिल गया है।

गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि हाल ही में की गई जीएसटी (GST) कटौती से संकेत मिलता है कि अब सरकार द्वारा राजकोषीय समेकन (Fiscal Consolidation) का सख्त चरण पीछे छूट चुका है।

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अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर 📈

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत गति से आगे बढ़ रही है:

  • GDP अनुमान में सुधार: RBI ने 2025-26 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर का अनुमान पहले के $6.5\%$ से बढ़ाकर $6.8\%$ कर दिया है।
  • मजबूत तिमाही: 2025-26 की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद ने $7.8\%$ की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जिसका श्रेय मजबूत निजी खपत और स्थिर निवेश को जाता है।
  • ग्रामीण-शहरी मांग: अच्छे मानसून और कृषि गतिविधियों के कारण ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है, जबकि शहरी मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

क्रेडिट डिमांड में सुधार की उम्मीद

RBI द्वारा हाल ही में घोषित किए गए उपायों से सप्लाई साइड पर ऋण (क्रेडिट) की स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है। घरेलू नियामकीय ढील के साथ-साथ, इन उपायों से आने वाले समय में ऋण की मांग में धीरे-धीरे सुधार होगा।

https://x.com/yespunjab/status/1975468456263942627

बाहरी चुनौतियाँ बरकरार

हालांकि, रिपोर्ट ने कुछ बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियों पर भी ध्यान दिलाया है जो भारत के आउटलुक पर दबाव बना रही हैं:

  1. US इमिग्रेशन लागत: H-1B वीजा के लिए अमेरिका में बढ़ती इमिग्रेशन लागत भारतीय आईटी सेवा क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है।
  2. अमेरिकी टैरिफ: भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि भी चिंता का विषय है।

ये कारक व्यापक आर्थिक अनिश्चितता के साथ मिलकर ऋण की मांग को कुछ हद तक कमजोर कर सकते हैं। कम महंगाई, मजबूत आर्थिक विकास और सरकारी सुधारों को देखते हुए, विश्लेषकों का मानना ​​है कि RBI जल्द ही एक और दर कटौती का तोहफा दे सकता है, जिससे आम आदमी के लिए होम लोन और ऑटो लोन सस्ते होने की संभावना बढ़ जाएगी।

Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

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