Stress & Cortisol: आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में हम एक अनजानी रेस में दौड़ रहे हैं। हमें रुककर खुद को देखने का वक़्त ही नहीं मिलता। काम का बोझ, रिश्तों का दबाव, और कल की चिंता हम पर हावी है। ये सब मिलकर हमारे भीतर एक भारीपन पैदा करते हैं, जिसे हम तनाव कहते हैं। हम भूल जाते हैं कि यह सिर्फ़ ‘मन की बात’ नहीं है। यह हमारे शरीर के हर कोने पर दस्तक दे रहा है।
तनाव और कोर्टिसोल: हार्मोन्स का बिगड़ना
जब दिमाग़ की तारें उलझती हैं, तो शरीर जवाब देने लगता है। विज्ञान और आयुर्वेद दोनों मानते हैं कि मन अशांत होने पर शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। लगातार उलझन में रहने पर शरीर खतरे को भाँपकर एक ख़ास हार्मोन बनाता है। इस हार्मोन का नाम है कोर्टिसोल। यह एक तरह का ‘अलार्म’ है, जो हर वक्त बजता रहता है।
वज़न बढ़ना और जिद्दी चर्बी
ऊंचा कोर्टिसोल स्तर शरीर का संतुलन बिगाड़ देता है। एस्ट्रोजन या थायरॉइड जैसे ज़रूरी हार्मोन प्रभावित होते हैं। इसका पहला असर आपके वज़न पर दिखता है। अचानक आपका वज़न तेज़ी से बढ़ने लगता है। ख़ासकर पेट के आस-पास की चर्बी कम करना नामुमकिन हो जाता है। यह चर्बी भीतर के शोर की निशानी है।
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खोई हुई नींद और धीमा दिमाग़
तनाव का सबसे बड़ा वार हमारी नींद पर होता है। क्या रात को बार-बार आँख खुल जाती है? देर रात तक सिर्फ़ सोचते रहना आम बात है। यह तनाव आपकी नींद की चादर को फाड़ देता है। सुबह उठकर भी थका हुआ महसूस होता है। आयुर्वेद इसे संतुलन बिगड़ने का परिणाम मानता है।
सुस्ती, याददाश्त और फ़ोकस की कमी
जब दिमाग़ उलझनों में घिरा रहता है, तो मन हमेशा थका हुआ रहता है। इसका नतीजा है सुस्ती और कमज़ोर याददाश्त। आप किसी भी चीज़ पर ध्यान नहीं लगा पाते हैं। ऐसा लगता है जैसे दिमाग़ में कोहरा छा गया हो। आयुर्वेद में इसे ‘मनोविकार’ कहा गया है। इसमें हमारी बुद्धि भ्रमित हो जाती है।

खुद को सुनने का वक़्त
इस चक्र से बाहर निकलना बहुत ज़रूरी है। हमें समझना होगा कि हर बात पर सोचते रहना एक बड़ी समस्या है। हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है खुद को वक़्त देना। तनाव से उबरने की शुरुआत सोच को नियंत्रित करने से होती है। किसी ने सही कहा है
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शांति की ओर कदम
आयुर्वेद कहता है, मन स्थिर होता है तो शरीर स्वस्थ होता है। अपनी दिनचर्या में योग और प्राणायाम को जगह दें। भ्रामरी प्राणायाम, अनुलोम-विलोम करें। कुछ पल शांत बैठकर ध्यान (Meditation) करें। यह कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है। यह आपके मन को शांति देता है। यह वक़्त है कि हम इस अंदरूनी शोर को पहचानें। अपने शरीर को बोझ से आज़ाद करें। आपकी सेहत आपकी सबसे बड़ी दौलत है। इसकी हिफ़ाज़त सिर्फ़ आप ही कर सकते हैं।








