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Ethics: वर्तमान संदर्भों में नैतिकता: एक विश्लेषणात्मक दृष्टि

नैतिकता (Ethics) मानव जीवन का वह आधारभूत स्तंभ है जिस पर व्यक्तिगत आचरण, सामाजिक व्यवस्था और वैश्विक संबंध टिके होते हैं। यह सही और गलत, अच्छे और बुरे, कर्तव्य और अकर्तव्य के बीच अंतर करने की वह प्रणाली है जो हमारे निर्णयों और कार्यों को निर्देशित करती है।

नैतिकता क्या है? (What is Ethics?)

नैतिकता को परिभाषित करना एक जटिल दार्शनिक कार्य है, लेकिन संक्षेप में, इसे दो प्रमुख आयामों में समझा जा सकता है:

  1. सैद्धांतिक आयाम: यह नैतिक सिद्धांतों, मूल्यों और मानदंडों का व्यवस्थित अध्ययन है। यह प्रश्न करती है कि ‘हमें क्या करना चाहिए?’ और ‘कोई कार्य सही क्यों है?’
  2. व्यावहारिक आयाम: यह इन सैद्धांतिक ज्ञान को वास्तविक जीवन की स्थितियों में लागू करना है, जैसे कि चिकित्सा नैतिकता, व्यावसायिक नैतिकता या पर्यावरणीय नैतिकता।

शास्त्रीय परिभाषा: परंपरागत रूप से, नैतिकता को उन आंतरिक नैतिक संहिताओं (Internal Moral Codes) के रूप में देखा जाता है जो किसी व्यक्ति को समाज या धर्म द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप व्यवहार करने के लिए प्रेरित करती हैं। यह व्यक्तिगत चरित्र और सदाचार (Virtue) पर केंद्रित होती है।

वर्तमान संदर्भों में नैतिकता की परिभाषा

वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी क्रांति और सामाजिक जटिलताओं के कारण, समकालीन नैतिकता की परिभाषा अधिक विस्तृत, बहुआयायामी और लचीली हो गई है। वर्तमान संदर्भों में नैतिकता की परिभाषा निम्नलिखित तत्वों पर केंद्रित है:

  1. परिणामवादी (Consequentialist) ढाँचा: वर्तमान नैतिकता केवल इरादों पर नहीं, बल्कि कार्यों के परिणामों पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है। उदाहरण के लिए, पर्यावरणीय नैतिकता में किसी उद्योग के कार्य को तभी नैतिक माना जाएगा जब उसका दीर्घकालिक परिणाम ग्रह और भावी पीढ़ियों के लिए न्यूनतम क्षति वाला हो।
  2. बहु-हितधारक दृष्टिकोण (Multi-Stakeholder View): पारंपरिक नैतिकता व्यक्ति या सीमित समुदाय पर केंद्रित थी, जबकि वर्तमान नैतिकता वैश्विक हितधारकों (Global Stakeholders) को शामिल करती है, जिनमें न केवल मानव समाज बल्कि पर्यावरण, पशु अधिकार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी गैर-मानवीय संस्थाएं भी शामिल हैं।
  3. विविधता और समावेशन (Diversity and Inclusion): वर्तमान संदर्भों में नैतिक निर्णय लेते समय सांस्कृतिक सापेक्षता और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी जाती है। एक नैतिक कार्रवाई वह है जो समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के हितों की रक्षा करती है और निष्पक्षता (Fairness) को बढ़ावा देती है।
  4. प्रौद्योगिकी केंद्रित (Technology-Centric): सूचना क्रांति के युग में, नैतिकता अब डेटा गोपनीयता, एल्गोरिथम पूर्वाग्रह (Algorithmic Bias), और AI के उत्तरदायित्व जैसे नए क्षेत्रों तक फैल गई है। यह डिजिटल युग की नैतिक चुनौतियाँ हैं।

संक्षेप में, वर्तमान संदर्भों में नैतिकता की परिभाषा एक ऐसी गतिशील प्रणाली है जो जटिल सामाजिक, तकनीकी और वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए अधिकतम कल्याण, न्याय और दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा देती है।

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नैतिकता पर वर्तमान विद्वानों की टिप्पणियां

वर्तमान समय में दार्शनिक और विचारक नैतिकता को केवल एक व्यक्तिगत गुण के रूप में नहीं, बल्कि एक संरचनात्मक अनिवार्यता (Structural Imperative) के रूप में देखते हैं।

1. प्रौद्योगिकी और AI नैतिकता (Nick Bostrom & Wendell Wallach)

  • निक बोस्ट्रॉम (Nick Bostrom), एक प्रमुख भविष्यवादी, अति-बुद्धिमान AI के निर्माण की नैतिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उनकी टिप्पणी है कि यदि हम AI को नैतिक मूल्यों से लैस नहीं करते हैं, तो मानव जाति के अस्तित्व को गंभीर खतरा हो सकता है। नैतिकता अब केवल मानव व्यवहार को नियंत्रित करने के बजाय तकनीकी सृजन को नियंत्रित करने का विषय बन गई है।
  • वेंडेल वॉलैक (Wendell Wallach) जैसे विद्वानों का तर्क है कि हमें AI के लिए ‘नैतिक बम्पर’ (Ethical Bumper) बनाने होंगे, जो उन्हें खतरनाक व्यवहार से रोकें।

2. व्यावसायिक और कॉरपोरेट नैतिकता (Michael Sandel)

  • माइकल सैंडल (Michael Sandel), एक प्रसिद्ध राजनीतिक दार्शनिक, समकालीन बाजार नैतिकता की आलोचना करते हैं। उनकी टिप्पणी है कि बाजार हर चीज़ का मूल्य तय कर रहे हैं, जिससे ‘बाजार समाज’ (Market Society) का निर्माण हो रहा है, जो ‘बाजार अर्थव्यवस्था’ से अलग है। सैंडल का तर्क है कि नैतिक रूप से, कुछ चीजें बेची या खरीदी नहीं जानी चाहिए, क्योंकि इससे उनके मूल्य (Value) का क्षरण होता है।

3. सामाजिक न्याय और क्षमता दृष्टिकोण (Amartya Sen)

  • नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (Amartya Sen) नैतिकता को ‘क्षमता दृष्टिकोण’ (Capability Approach) से जोड़ते हैं। सेन के अनुसार, नैतिक रूप से सही समाज वह नहीं है जो केवल अधिकतम उपयोगिता (Utility) पैदा करे, बल्कि वह है जो सभी व्यक्तियों को कार्य करने और जीवन जीने की वास्तविक क्षमता प्रदान करता है। उनकी टिप्पणी है कि नैतिकता का लक्ष्य लोगों को केवल अधिकार देना नहीं, बल्कि उन्हें उन अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम बनाना है।

4. पर्यावरणीय और दीर्घकालिक नैतिकता (Hans Jonas)

  • हैंस जोनास (Hans Jonas) ने अपनी पुस्तक ‘द इम्पीरेटिव ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी’ में तर्क दिया कि समकालीन नैतिकता को भविष्य की पीढ़ियों के अस्तित्व के प्रति जिम्मेदारी पर केंद्रित होना चाहिए। उनकी टिप्पणी है कि हमारे पास एक नैतिक अनिवार्यता है कि हम पृथ्वी और मानव जीवन को इस प्रकार संरक्षित करें कि भावी पीढ़ियाँ इसे विरासत में पा सकें। यह दीर्घकालिक नैतिकता (Long-term Ethics) की अवधारणा को स्थापित करता है।

वर्तमान संदर्भों में नैतिकता एक स्थिर दर्शन नहीं, बल्कि एक निरंतर विकसित होने वाला ढाँचा है। विद्वानों की टिप्पणियाँ यह स्पष्ट करती हैं कि नैतिकता अब केवल व्यक्तिगत सदाचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कॉरपोरेट गवर्नेंस, तकनीकी विकास और वैश्विक स्थिरता जैसे बड़े संरचनात्मक मुद्दों से जुड़ी हुई है।

https://x.com/UPSCEXPERTS/status/1973269235024724402

आज की नैतिक चुनौतियाँ पिछली पीढ़ियों से गुणात्मक रूप से भिन्न हैं। हमारे हाथ में जो शक्ति (जैसे- AI, जीनोम एडिटिंग) है, वह पहले कभी नहीं थी, इसलिए हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी है। नैतिकता को परिभाषित करने और लागू करने का कार्य अब दार्शनिकों, वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और नागरिकों के बीच एक साझा प्रयास बन गया है।

Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

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