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Varanasi के शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन

Varanasi: प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार को निधन हो गया। यह खबर मिलते ही वाराणसी में शोक की लहर दौड़ गई। छन्नूलाल मिश्र के पैतृक गांव श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों का तांता लग गया। गायक की बेटी नम्रता के शब्दों में काशी उनकी आत्मा में बसती थी। पंडित छन्नूलाल मिश्र का जाना संगीत जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। यह बात हर कलाकार, हर संगीत प्रेमी समझ सकता है। अब पिताजी की आवाज रिकॉर्ड और सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे बीच रहेगी।

बुझ गया चिराग

छन्नूलाल मिश्रा को तीन सप्ताह पहले हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें बीएचयू के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया। जांच के दौरान उनके सीने में इंफेक्शन और शरीर में खून की कमी पाई गई। कुछ दिनों तक इलाज चलने के बाद वह ठीक हुए तो बीएचयू से छुट्टी मिल गई। लोगों ने इसे मामूली बीमारी समझा। लेकिन अचानक फिर से उनकी तबीयत खराब हो गई। इसके बाद उन्हें मिर्जापुर के ओझला पुल स्थित रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां उनकी जांच की गई। तमाम कोशिशें करने के बाद भी डॉक्टर्स उन्हें बचा नहीं पाए और गुरुवार सुबह उनकी आवाज हमेशा हमेशा के लिए शांत हो गई।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने जब वाराणसी से चुनाव लड़ा तो छन्नूलाल मिश्र उनके प्रस्तावक बने थे। उन्हें 2010 में पद्म भूषण और 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

सिद्धगिरि बाग का वो कमरा

वाराणसी के सिद्धगिरि बाग की गली के घर में छोटा सा कमरा गुरुजी का अड्डा था जहां कोई भी, कभी भी जाकर उनसे मिल सकता था। हारमोनियम पर हाथ रखकर जब वह शिव या शिव के आराध्य राम की या राम के प्रिय केवट का प्रसंग लेकर शुरू होते थे तो सब कुछ शांत हो जाता था। एक समां ऐसा बंध जाता था कि वह बस सुनाते जाते सुनाते जाएं। उनके न रहने पर भी हवाओं में घुल चुके उनके गीतों की गूंज यह अहसास करा रही है कि वह हमारे आसपास ही कहीं हैं।

अमर हो गए पंडित छन्नूलाल मिश्र

उनके सोहर और ठुमरी के सभी दीवाने थे। काशी में मसाने की होली पर उनके गीत बजते थे। बच्चों के जन्म पर सोहर बजते थे। ये अब भी होगा लेकिन बस पंडितजी नहीं होंगे।, ये भी लगभग असंभव सा है. दशकों तक काशी से गीत संगीत के साम्राज्य पर एक छत्र शासन करने वाले। छन्नूलाल मिश्र जी का व्यक्तित्व अनूठा था। किसी को देखकर अहसास नहीं होता था कि इतनी बड़ी शख्सियत इतने सरल अंदाज में रुबरू है।

 

Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

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