आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को विश्वास जताया कि आंध्र प्रदेश भारत में क्वांटम तकनीक की क्रांति का नेतृत्व करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने क्वांटम और उससे जुड़े क्षेत्रों में विशेषज्ञ तैयार करने के लिए एक व्यापक और दूरदर्शी कार्ययोजना तैयार की है। यह पहल राज्य को भविष्य-तैयार बनाने के साथ-साथ ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ाने का आधार बनेगी।
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मुख्यमंत्री एक डिजिटल मंच के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जिसमें 50 हजार से अधिक क्वांटम तकनीक के छात्र, पेशेवर और उद्योग साझेदार शामिल हुए। यह कार्यक्रम अमरावती क्वांटम वैली इकोसिस्टम को मज़बूत करने और क्वांटम वर्कफोर्स तैयार करने के उद्देश्य से शुरू की गई एक बड़ी पहल का हिस्सा है। नायडू ने कहा कि जिस तरह आईटी क्रांति ने भारत और खासकर आंध्र प्रदेश को वैश्विक पहचान दिलाई, उसी तरह क्वांटम तकनीक आने वाले दशकों में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य सरकार एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य के तहत एक मिलियन (10 लाख) लोगों को क्वांटम मैकेनिक्स और क्वांटम एल्गोरिद्म जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करेगी। इसके अलावा, 3 लाख लोगों को क्वांटम सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सेक्टर में तथा 1 लाख विशेषज्ञों को उन्नत अनुसंधान के लिए तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण इकोसिस्टम बनाने की योजना है, जिसमें शिक्षा, अनुसंधान, उद्योग और स्टार्टअप संस्कृति को एक साथ जोड़ा जाएगा।
नायडू ने स्पष्ट किया कि अमरावती को अमेरिका की सिलिकॉन वैली की तर्ज पर भारत की “क्वांटम वैली” के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने भरोसा जताया कि अगले दो वर्षों में अमरावती में ही क्वांटम कंप्यूटिंग डिवाइस का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके अनुसार, यह पहल न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम होगी।
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मुख्यमंत्री ने बताया कि क्वांटम कार्यक्रम की घोषणा के बाद अभूतपूर्व प्रतिक्रिया देखने को मिली। केवल एक घोषणा के बाद ही 54 हजार से अधिक लोगों ने क्वांटम विशेषज्ञ बनने के लिए पंजीकरण कराया। इससे यह साफ है कि युवाओं और पेशेवरों में इस नई तकनीक को लेकर जबरदस्त उत्साह और जिज्ञासा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस उत्साह को सही दिशा देने के लिए आवश्यक संसाधन, प्रशिक्षण और अवसर उपलब्ध कराएगी।
यह कार्यक्रम एक रणनीतिक साझेदारी के तहत लागू किया जा रहा है, जिसका नेतृत्व WISER (द वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम, एंटरप्रेन्योरशिप एंड रिसर्च) कर रहा है और भारत में इसका साझेदार Qubitech है। नायडू ने कहा कि वैश्विक और भारतीय संस्थानों के इस सहयोग से आंध्र प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञता और संसाधन मिलेंगे।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने 25 साल पहले के अपने आईटी विज़न को याद किया। उन्होंने कहा, “आज से 25 साल पहले मैंने आईटी का विज़न प्रस्तुत किया था। आज मैं क्वांटम का विज़न प्रस्तुत कर रहा हूं। जिस तरह सिलिकॉन वैली ने डिजिटल युग को दिशा दी, उसी तरह अमरावती की क्वांटम वैली भविष्य की ज्ञान अर्थव्यवस्था को दिशा देगी।” उन्होंने कहा कि आईटी क्रांति को अपनाकर अविभाजित आंध्र प्रदेश ने दुनिया को आईटी पेशेवर दिए और हैदराबाद को साइबराबाद के रूप में वैश्विक आईटी हब बनाया।
नायडू ने दुनिया भर में तेलुगु पेशेवरों की सफलता का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में भारतीय मूल के परिवारों की औसत आय राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है, जिसका मुख्य कारण STEM और पेशेवर क्षेत्रों में उनकी मजबूत भागीदारी है। उन्होंने बताया कि सिलिकॉन वैली में 1,200 से अधिक तकनीकी स्टार्टअप तेलुगु उद्यमियों द्वारा स्थापित किए गए हैं, जबकि 2.5 लाख से अधिक तेलुगु पेशेवर शीर्ष टेक कंपनियों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। इसके अलावा, कई फॉर्च्यून 500 कंपनियों की कमान तेलुगु मूल के नेताओं के हाथ में है।
मुख्यमंत्री ने “हर परिवार में एक आईटी पेशेवर” के अपने पुराने नारे को याद करते हुए अब “हर परिवार में एक क्वांटम पेशेवर” का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे इस विज़न को समझें और उसी के अनुसार अपने भविष्य की योजना बनाएं। नायडू ने यह भी घोषणा की कि आंध्र प्रदेश से क्वांटम विज्ञान में पहले नोबेल पुरस्कार विजेता को राज्य सरकार 100 करोड़ रुपये का पुरस्कार देगी। उन्होंने कहा कि यह घोषणा युवाओं और शोधकर्ताओं को विश्वस्तरीय अनुसंधान के लिए प्रेरित करेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अमरावती क्वांटम कंप्यूटिंग सेंटर की स्थापना की जा रही है, ताकि यहां होने वाला अनुसंधान अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से अमरावती में एक संपूर्ण क्वांटम इकोसिस्टम की योजना बनाई गई है। क्वांटम तकनीक के माध्यम से व्यक्तिगत चिकित्सा, निवारक और उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव संभव होंगे। इसके अलावा, क्षमता, गति और सटीकता के मामले में भी क्वांटम तकनीक नई संभावनाएं खोलेगी।
उन्होंने कहा कि क्वांटम तकनीक के ज़रिए चिकित्सा, ऊर्जा, कृषि, वित्तीय मॉडलिंग, सामग्री खोज और मौसम पूर्वानुमान जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व बदलाव लाए जा सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, सैटेलाइट और ड्रोन जैसी तकनीकों के साथ मिलकर विभिन्न क्षेत्रों में स्थिरता हासिल करना संभव होगा। इससे आम जनता को कम लागत पर बेहतर सेवाएं प्रदान की जा सकेंगी।
नायडू ने केंद्र सरकार की नेशनल क्वांटम मिशन का भी उल्लेख किया और कहा कि इसके माध्यम से बड़े पैमाने पर निवेश और कौशल विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि जिस तरह आईटी क्रांति का वैश्विक प्रभाव पड़ा, उसी तरह क्वांटम क्रांति भी पूरी दुनिया को प्रभावित करेगी। उन्होंने कहा कि भारत को इस क्षेत्र में पहले कदम का लाभ उठाना चाहिए।
अपने संबोधन के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा, “भारतीयों को क्वांटम क्रांति को अपनाना होगा। क्वांटम कंप्यूटिंग अनुसंधान से मानवता को चिकित्सा, बिजली, टिकाऊ कृषि, वित्तीय योजना और मौसम विज्ञान जैसे क्षेत्रों में बड़ा लाभ होगा। क्वांटम तकनीक के साथ अनुसंधान की संभावनाओं की कोई सीमा नहीं है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और विशेष रूप से आंध्र प्रदेश इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व हासिल करेगा।
कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री नायडू का यह विज़न आंध्र प्रदेश को न केवल भारत बल्कि दुनिया के क्वांटम मानचित्र पर एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। यह पहल आने वाले वर्षों में राज्य के युवाओं, शोधकर्ताओं और उद्योगों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगी और भारत को भविष्य की तकनीकों में अग्रणी बनाएगी।








