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India Russia Global Diplomacy: रूस दे रहा भारत को सुनहरा मौका, वैश्विक कूटनीति में बजा सकता है डंका

India Russia Global Diplomacy: पश्चिम (अमेरिका), रूस और Ukraine शांति वार्ताओं की ओर कदम बढ़ा रहे हैं — लेकिन क्षेत्रीय दावों व सुरक्षा चिंताओं की वजह से समझौता अभी तक संभव नहीं हुआ है — भारत की भूमिका सिर्फ सीमित कूटनीति या रक्षा-साझेदारी तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। यदि भारत बुद्धिमानी से और ज़िम्मेदारी से आगे बढ़े, तो वह विश्व समुदाय के लिए एक भरोसेमंद, संतुलित और सकारात्मक साझेदार बन सकता है। भारत न केवल अपनी राष्ट्रीय हित — रक्षा, आर्थिक और ऊर्जा — की दिशा में काम करेगा, बल्कि एक वैश्विक शांति व सुरक्षा संरचना के हिस्से के रूप में भी खुद को स्थापित भी करेगा। इन स्थितियों में बहुत गंभीरता के साथ मौजूदा हालात का विश्लेषण करना अपरिहार्य हो गया है।

पहले अगर अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में चल रही स्थितियों की बात करें तो अमेरिका–यूक्रेन वार्ता, फिर मॉस्को के साथ शांति की कोशिशें होती दिख रही हैं। हाल ही में Trump Administration के उच्च अधिकारियों — Marco Rubio, Steve Witkoff और Jared Kushner — और यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात Florida (यूएस) में हुई। उद्देश्य था एक प्रस्तावित शांति ढाँचा (peace framework) तैयार करना, जिससे उस युद्ध को समाप्त किया जा सके जो 2022 से चल रहा है।  प्रस्ताव की बड़ी बात थी कि यूक्रेन अपनी संप्रभुता बनाए रखे — लड़ाई बंद हो, लेकिन युद्ध खत्म होने के बाद भी उसकी स्वतंत्रता और स्थिरता सुनिश्चित हो। इस बातचीत में Volodymyr Zelenskyy ने माना कि ‘क्षेत्रीय अखंडता’ (territorial integrity) — यानी, रूस द्वारा कब्जा किए गए इलाक़ों पर दावों को लेकर — शांति वार्ताओं की सबसे जटिल चुनौती बनी हुई है।

इसके बाद मॉस्को में Vladimir Putin के साथ अमेरिकी वार्ता होती है, लेकिन अमेरिकी मंसूबों को मायूसी हाथ लगती है। वैसे जब अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल मॉस्को पहुँचा, तब रूस–यूएस वार्ता लगभग 5 घंटे चली। हालांकि रूस की ओर से इसे “रचनात्मक” बताया गया, लेकिन मुख्य sticking point — विशेषकर क्षेत्रीय नियंत्रण (territorial control) — पर कोई समझौता नहीं हुआ। क्रेमलिन ने कहा कि उनका कुछ प्रस्ताव स्वीकार्य था, लेकिन स्थायी शांति समझौते की स्थिति अभी नहीं बनी। रूस ने एक टाइमिंग संकेत भी दिया है — यदि पश्चिम या यूरोपीय देश युद्ध को भड़काने की कोशिश करेंगे, तो रूस युद्ध के लिए “तैयार” है, जैसा कि खुद पुतिन द्वारा सार्वजनिक रूप से कहा भी है।

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अगर यूक्रेन की प्रतिक्रिया और उसकी अगली चाल की बात करें तो वह बहुत कुछ अमेरिका में फिर से बातचीत के बाद ही स्पष्ट होगा। ज़ेलेंस्की ने भी स्पष्ट किया है कि अमेरिका में फिर से बातचीत होगी — रूस–अमेरिका वार्ता के बाद, और भी rounds होंगे। उनका कहना है कि वे टालने के अंदाज में नहीं हैं या उदासीनता नहीं दिखा रहे हैं। उनका कहना है कि यूक्रेन की संप्रभुता व रक्षा-गारंटी उनके लिए सबसे ऊपर है।साथ ही, यूक्रेनी प्रतिनिधियों ने यूरोपीय साझेदारों के साथ भी समन्वय बढ़ाने की बात कही है, ताकि शांति प्रस्ताव सिर्फ अमेरिका-रूस तक सीमित न रहे, बल्कि यूरोप भी इसमें शामिल हो।

India Russia Global Diplomacy: भारत — शिखर सम्मेलन और पुतिन की यात्रा: एक अवसर

इस बीच, रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत आए हैं। उनकी भारत यात्रा का असर केवल द्विपक्षीय रक्षा या आर्थिक समझौतों तक सीमित नहीं — बल्कि यह एक ऐसा पल है, जब भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी स्थिति की पुनः पुष्टि कर सकता है। पुतिन की भारत यात्रा में रक्षा-सौदों, व्यापारिक साझेदारियों और कूटनीतिक सहयोग को प्राथमिकता दी गई है।भारत का यह कदम इस समय की संवेदनशीलता — रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम और रूस के बीच कूटनीतिक हलचलों, और अमेरिका की वार्ताएं — में बेहद मायने रखता है। भारत, जिसकी अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता अभी भी बहुत मजबूत है, एक मध्यस्थ (mediator) या संतुलक शक्ति (balancer) के रूप में सामने आ सकता है।

संभावित रूप से भारत निम्न भूमिकाएँ निभा सकता है:

शांति प्रस्तावों को लेकर रूस और पश्चिम (विशेषकर अमेरिका और यूरोप) के बीच एक सुरक्षित कूटनीतिक “neutral ground” प्रदान करना। विकास, ऊर्जा, रक्षा और व्यापार के रिश्तों को मध्य करके रूस और पश्चिम के बीच किसी प्रकार के द्विपक्षीय तनाव को कम करना। भविष्य के लिए, एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा या शांति पहल में भाग लेकर — विशेष रूप से एशिया-प्रशांत एवं यूरोपीय दोनों मोर्चों पर — अपनी स्थिर और सार्थक छवि बनाना।

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वैसे रूस की भारत यात्रा और पश्चिम–रूस वार्ता एक ही समय-रेखा में हो रहे हैं। यह भारत को — बीच में — संतुलन बनाए रखने, संवाद स्थापित करने और विश्व शांति में सार्थक भूमिका निभाने का दुर्लभ अवसर दे रहा है। भारत का परंपरागत बहुपक्षीय (multipolar) दृष्टिकोण — न कि किसी ब्लॉक का हिस्सा बनकर, बल्कि “स्वतंत्र, निष्पक्ष और संतुलित” कूटनीति — इस समय बहुत उपयोगी हो सकता है।यदि भारत समझदारी से इस अवसर को भुना ले, तो न केवल दो मोर्चों (रक्षा–व्यापार) में बल्कि वैश्विक कूटनीति में अपनी प्रतिष्ठा और विश्वासपूर्ण मध्यस्थता की भूमिका मजबूत कर सकता है।

Tesari Aankh
Author: Tesari Aankh

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