भारत में आतंकवाद का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। हथियारबंद आतंकी संगठनों के पारंपरिक मॉड्यूल के साथ-साथ अब सफेदपोश पेशेवर, साइबर धमकी देने वाले अपराधी, और आर्थिक नेटवर्क भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में देशभर में हुई कई बड़ी कार्रवाईयों ने आतंकी तंत्र की इस नई परत को उजागर किया है।
कश्मीर: सफेदपोश आतंकी नेटवर्क की जांच तेज
जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने श्रीनगर, बडगाम और कुलगाम में कई ठिकानों पर संयुक्त रेड करते हुए उस सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल की परतें उधेड़नी शुरू कर दी हैं, जिसमें स्थानीय डॉक्टरों के शामिल होने के संकेत मिले थे।
कुलगाम के बुगाम में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. उमर फारूक के आवास की तलाशी, इससे पहले डॉ. आदिल राथर सहारनपुर से गिरफ्तार, डॉ. मुजम्मिल गनई के पास से विस्फोटक बरामद, एक अन्य डॉक्टर उमर नबी की दिल्ली के लाल किले के पास कार ब्लास्ट में मौत जैसी घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि आतंकवादी संगठन अब उच्च शिक्षित पेशेवरों को भी अपने नेटवर्क का हिस्सा बना रहे हैं, जो संसाधन, यात्रा, लॉजिस्टिक और फंडिंग में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
दिल्ली विस्फोट की जांच: ईडी की बड़े पैमाने पर छापेमारी
दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार बम विस्फोट—जिसमें 12 लोगों की मौत हुई—के बाद देश की आर्थिक खुफिया एजेंसियों ने अलग मोर्चा संभाला है।
ईडी ने फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी और इसके ट्रस्टियों के 25 ठिकानों पर छापेमारी कर संभावित फंडिंग पैटर्न और ऑपरेशनल सपोर्ट की जांच शुरू की है।
जांच के मुख्य बिंदु फंडिंग के स्रोतों पर गंभीर संदेह, यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों पर निगरानी, संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी पर गहरी जांच, जो पहले भी धोखाधड़ी मामलों में आरोपी रह चुके हैं। यह कार्रवाई बताती है कि दिल्ली ब्लास्ट जैसे घटनाओं के पीछे सिर्फ आतंकी नहीं, बल्कि बड़े आर्थिक नेटवर्क और संस्थागत सपोर्ट सिस्टम भी जुड़े हो सकते हैं।
कर्नाटक: साइबर धमकियों के नए खतरे
बेंगलुरु मेट्रो को ईमेल के जरिए मिली बम धमकी भी भारत में उभरते साइबर-आधारित आतंकवाद या आतंक जैसी धमकियों के नए आयाम को सामने लाती है। जिनमें प्रमुख हैं खुद को “कन्नड़ का देशभक्त” बताने वाले व्यक्ति का धमकी भरा मेल, मेट्रो स्टेशन को उड़ाने की चेतावनी, ईमेल एक प्राइवेट डोमेन से; साइबर क्राइम विंग जांच में, बेंगलुरु मेट्रो की सुरक्षा बढ़ाई गई। हालांकि यह धमकी असली आतंक से प्रेरित थी या किसी निजी विवाद का परिणाम—यह जांच का विषय है। लेकिन इससे साफ है कि डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल कर हानिकारक धमकियाँ देना आसान होता जा रहा है, जिससे शहरी सुरक्षा पर नई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं।
दिल्ली: फरार अपराधियों पर शिकंजा, आतंकी नेटवर्क पर असर
दिल्ली पुलिस ने विभिन्न थानों और यूनिट्स के समन्वित ऑपरेशन में पांच भगोड़ों को गिरफ्तार कर यह दिखाया है कि अपराध और आतंक को बढ़ावा देने वाले फरार आरोपी अब ज्यादा देर तक छिप नहीं सकते।
https://x.com/capt_ad_hoc/status/1990634002269503936?s=20
हालांकि ये गिरफ्तारियां सीधे आतंकी मामलों से संबंधित नहीं हैं, लेकिन ऐसी कार्रवाई से अंडरग्राउंड नेटवर्क व स्थानीय क्राइम-टेरर लिंक पर बड़ा असर पड़ता है।
भारत के सामने उभरती तीन नई चुनौतियाँ
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सफेदपोश और शिक्षित आतंकी मॉड्यूल
डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेशनल अब आतंकी नेटवर्क का हिस्सा बन रहे हैं।
ये लोग अत्यधिक संसाधन, सोशल प्रतिष्ठा और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन रखते हैं—जो आतंकवाद को नई दिशा दे सकते हैं।
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साइबर धमकी और डिजिटल आतंक
ईमेल, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए धमकी देना आसान और ट्रैक करना कठिन हो गया है।
यह बड़े शहरों की सुरक्षा एजेंसियों को नए प्रकार की निगरानी तकनीक अपनाने की मांग करता है।
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आर्थिक व संस्थागत फंडिंग नेटवर्क
अल फलाह यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाओं पर छापेमारी से संकेत मिलता है कि आतंकी फंडिंग अब संगठित, छिपी हुई और बहुस्तरीय हो चुकी है।
https://tesariaankh.com/gen-z-protests-mexico-nepal-bangladesh-corruption/
क्या संकेत मिलते हैं?
भारत में आतंकवाद आज “एक-सिरे वाला संघर्ष” नहीं रह गया है।
यह मल्टी-लेयर, मल्टी-टेरिटोरियल और मल्टी-नेटवर्क्ड खतरा बन चुका है एक तरफ कश्मीर का स्थानीय मॉड्यूल, दूसरी तरफ दिल्ली में संस्थागत फंडिंग, तीसरी तरफ बेंगलुरु जैसे महानगरों को डिजिटल धमकियाँ और चौथी ओर दिल्ली पुलिस का अंडरग्राउंड अपराधियों पर शिकंजा। ये सभी घटनाएँ मिलकर बताती हैं कि भारत में आतंकी नेटवर्क विकसित, विविधतापूर्ण और गहराई तक फैला हुआ हो चुका है—जिससे निपटने के लिए राज्य और केंद्र स्तर पर समन्वित कार्रवाई और तकनीकी खुफिया बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है।








