ब्रायना विएस्ट की चर्चित पुस्तक ‘The Mountain Is You’ के विचारों पर आधारित विश्लेषण
साभार: thoughtcatalog.com
अमेरिकी लेखिका ब्रायना विएस्ट अपनी किताब ‘The Mountain Is You’ में कहती हैं कि जीवन में होने वाले बड़े बदलाव अक्सर उन क्षणों से जन्म लेते हैं, जो हमें असुरक्षित, डरे हुए या असहज महसूस कराते हैं। हम तब तक अपने सुरक्षित दायरे में ही रहते हैं, जब तक जीवन स्वयं हमें आगे बढ़ने के लिए धक्का न दे दे।
हम मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्थिर और परिचित वातावरण में रहना पसंद करते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह रास्ता हमारे लिए सही भी हो। कई बार बदलाव हमारे अंदर से नहीं, बल्कि परिस्थितियों से आता है—और हमें उसे स्वीकार करना ही सीखना होता है।
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बदलाव से पहले जीवन में दिखने वाले 8 संकेत
1. कोई बड़ा धक्का
कभी नौकरी का खत्म होना, रिश्ता टूटना या किसी अपनी का दूर हो जाना—ये घटनाएं हमें रुककर सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम वास्तव में क्या चाहते हैं। कभी यह प्रेरणा बस किसी पुराने दोस्त से मिल जाने जितनी छोटी भी हो सकती है।
2. सच का सामना करना
हम अक्सर वही खोते हैं, जो अंदर से पहले ही टूट चुका होता है—रिश्ते में आई खटास, नौकरी में हताशा या आत्मसम्मान में कमी। बदलाव का पहला कदम है सच को स्वीकारना।
3. अपनी भावनाओं को महसूस करना
गुस्सा, दुख, डर—ये सब सामान्य हैं। भावनाओं को दबाने से वे और गहरे होती जाती हैं। इन्हें पहचानना और समझना हमें आगे बढ़ने में मदद करता है।
4. अतीत की पकड़ ढीली होना
हमारा आत्मविश्वास अक्सर पुराने अनुभवों की परतों से ढक जाता है। लेकिन जब हम उन्हें समझना शुरू करते हैं, तो हम अतीत के बोझ से मुक्त होकर नए रास्ते खोजते हैं।
5. उम्मीद की हल्की किरण
जब हम थक चुके होते हैं, तभी जीवन एक संकेत देता है—किसी नए अवसर, विचार या व्यक्ति के रूप में। यही छोटी सी रोशनी आगे बढ़ने का पहला कदम बनती है।
6. छोटे-छोटे बदलाव
हम स्वयं को नए तरीके से ढालने लगते हैं—दिनचर्या, सोच, बोलने का ढंग, पहनावा—सब थोड़ा-थोड़ा बदलने लगता है। यह संकेत है कि विकास भीतर से शुरू हो चुका है।
7. बड़ी छलांग
एक समय के बाद हमें महसूस होता है कि अब हमें निर्णायक कदम लेना है—नौकरी बदलना, शहर बदलना, रिश्ता छोड़ना या नया काम शुरू करना। यह कदम कठिन होता है, लेकिन यहीं वास्तविक विकास होता है।
8. दर्द में छिपा मकसद समझ आना
जब हम बदलाव के दूसरे छोर पर पहुंचते हैं, तो समझ आता है कि दर्द, असहजता और टूटन ने ही हमें आगे बढ़ाया था। अगर वे न होते, तो हम अपनी सुरक्षित सीमाओं के बाहर कभी आने की हिम्मत ही नहीं करते।
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ज़िंदगी की उलझनें और भावनात्मक उथल-पुथल हमें तोड़ने नहीं आतीं, वे हमें नई दिशा देने आती हैं।
कभी-कभी तूफान सिर्फ आसमान साफ करने के लिए आता है—
और हमारे भीतर छिपी ऊर्जा को मुक्त करने के लिए।








